उत्तराखंड के विनय भंडारी ने 9 बार असफल होने के बाद भी ही मानी हार, जानिए इंजीनियर से लेफ्टिनेंट बनने का कैसा रहा सफर

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उत्तराखंड के युवाओं का बचपन से ही सेना में भर्ती होने का सपना होता है, उनमें अपनी मातृभूमि की सेवा करने की प्यास हमेशा अधिक रहती है। अपने सपनों को हासिल करने और सेना में चयनित होने के लिए वे कड़ी मेहनत करते हैं, लेकिन हर कोई इस मौके का आनंद नहीं उठा पाता। कभी-कभी उन्हें असफलता का भी सामना करना पड़ता है। जिसके कारण कुछ युवा आसानी से हार मान लेते हैं और अपने लक्ष्य को छोड़कर कोई और काम कर लेते हैं, लेकिन कुछ ही ऐसे होते हैं जिनमें दृढ़ इच्छाशक्ति होती है और इनमें से कुछ होनहार युवा बार-बार असफल होने के बावजूद भी अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहते हैं और उच्च स्थान हासिल करते हैं।

अपने जज्बे और मजबूत इरादे से बने अफसर

ऐसा ही कुछ उत्तराखंड में देखने को मिला है, यहां विनय भंडारी एक प्रेरणादायक कहानी बन गए हैं, जो कि टिहरी गढ़वाल के हैं, वे आईएमए देहरादून से पास आउट हुए और भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गए।

आपको बता दें कि विनय भंडारी के पिता खुशाल सिंह भंडारी राज्य के टिहरी गढ़वाल जिले के कीर्तिनगर विकासखंड के सुपाणा गांव के निवासी हैं, वह अब अपनी मातृभूमि की रक्षा करेंगे और अपनी कीमत पर भी इसकी रक्षा करेंगे। आपको बता दें कि विनय भंडारी वर्तमान में श्रीनगर के तहसील रोड के निवासी हैं।

विनय, जो बचपन से ही स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं, उन्होंने गुरु राम राय स्कूल से व्यावसायिक शिक्षा पूरी करने के बाद सरकारी पॉलिटेक्निक से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक करके बी.टेक पूरा किया। वर्ष 2021-22 में विनायक ने ऋषि-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना की कार्यदायी संस्था नवयुग में इंजीनियर इंजीनियरिंग के पद पर एक वर्ष तक कार्य किया।

जिसके बारे में पूरी तरह से खुलासा न हो पाने के बाद उन्होंने सेना में शामिल होने का फैसला छोड़ दिया। सेना में शामिल होने के लिए और इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत करना शुरू कर दिया, इसके बावजूद उन्हें नौ बार असफलता मिली लेकिन फिर भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी और 14वें प्रयास में उन्हें सीडीएस परमानेंट कमीशन मिल गया। इतना ही नहीं, विनय भंडारी को नेवी में भी कमीशन मिला है, लेकिन उनका सपना भारतीय रेलवे में ऑफिसर बनने का था और अब विनय भंडारी आईएमए देहरादून से पास आउट होकर गोरखा रेजिमेंट में ऑफिसर बन गए हैं, जिसके चलते उन्हें सिल्वर मिडिल मिल गया है। सर्वोत्तम श्रेय होने के साथ-साथ। मेडल से भी सम्मानित किया जा चुका है।