वर्ष 2000 से पहले शुरुआती समय में रेडियो लोगों के मनोरंजन का मुख्य स्रोत था। लगभग कौन सी आबादी रेडियो सुनती है? आधुनिक समय में लोगों का रुझान टेलीविजन और इंटरनेट की ओर है क्योंकि यह अधिक लोगों को आकर्षित करता है। आज के समय में लोग रेडियो सुनते हैं लेकिन यह चीज़ भी आधुनिक हो गई है। रेडियो का विकास भी यहाँ उत्तराखंड में बहुत ज्यादा हुआ है।
उत्तराखंड के बागेश्वर के रहने वाले है RJ काव्या
आज हम बात कर रहे हैं आरजे काव्य के बारे में, जो डिजिटल ओहो रेडियो उत्तराखंड के निदेशक हैं, उनका काम इतना बड़ा है कि उन्हें प्रतिष्ठित हरि कृष्ण त्रिवेदी मेमोरियल यंग जर्नलिस्ट अवार्ड से सम्मानित किया गया। दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में आरजे काव्य को 1 लाख 51 हजार की पुरस्कार राशि और प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया गया है।
आपको बता दें कि आरजे काव्य के नाम से मशहूर कवींद्र सिंह मेहता राज्य के बागेश्वर जिले के कठायतबाड़ा के रहने वाले हैं, उन्होंने उत्तराखंड का पहला डिजिटल रेडियो देहरादून में शुरू किया था। जिसका नाम ओहो रेडियो रखा गया। बहुत ही कम समय में आरजे काव्य और ओहो रेडियो को देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी पहचान मिली है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, यह ”हरि कृष्ण त्रिवेदी मेमोरियल यंग जर्नलिस्ट” पुरस्कार शनिवार को दिया गया. इस पुरस्कार का मीडिया समुदाय में एक महत्वपूर्ण स्थान है। उदाहरण के तौर पर हर साल यह पुरस्कार जमीनी स्तर पर काम करने वाले 35 साल तक के युवा पत्रकार को दिया जाता है।
इस वर्ष का पुरस्कार आरजे काव्य (कविंदर सिंह मेहता) को रेडियो के क्षेत्र में रेडियो को बढ़ावा देने और ओहो रेडियो के रूप में एक अद्वितीय उदाहरण स्थापित करके स्थानीय समुदाय के लिए एक उत्पाद तैयार करने में उनके अद्भुत योगदान के लिए दिया गया है। आरजे काव्य उत्तराखंड की एक बड़ी शख्सियत हैं।
इस शुभ अवसर पर इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में पद्मश्री पुष्पेश पंत, भारतीय जनसंचार संस्थान के गोविंद सिंह और वरिष्ठ मीडियाकर्मी राहुल देव ने कविंद्र मेहता (आरजे काव्या) को सम्मानित किया। इसके बाद कविंद्र मेहता की इस उपलब्धि से पूरे जिले और राज्य में खुशी की लहर है।