उत्तराखंड: मिसाल बने ये 2 शहर, कूड़े से बना रहे बिजली.. कारगर हो रहे “वेस्ट टू एनर्जी” प्लांट

उत्तराखंड में स्वच्छता और ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में एक नई क्रांति आ रही है। राज्य के दो प्रमुख शहर, देहरादून और हरिद्वार, वेस्ट टू एनर्जी (कचरे से बिजली बनाने) तकनीक के जरिए पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा उत्पादन का अनूठा उदाहरण पेश कर रहे हैं। इन शहरों ने न केवल कचरे की समस्या को कम किया है, बल्कि इसे उपयोगी संसाधन में बदलकर एक नई राह दिखाई है।

वेस्ट टू एनर्जी प्लांट की सफलता की कहानी

हरिद्वार और देहरादून में लगाए गए वेस्ट टू एनर्जी प्लांट्स ने एक नए अध्याय की शुरुआत की है। कूड़ा-कचरा, जो पहले एक समस्या माना जाता था, अब बिजली उत्पादन का साधन बन गया है। इन प्लांट्स में कचरे को अलग कर बायोमास और अन्य जैविक पदार्थों को जलाया जाता है, जिससे ऊर्जा उत्पन्न होती है।

  • हरिद्वार: इस धार्मिक शहर में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु आते हैं, जिससे काफी मात्रा में कचरा उत्पन्न होता है। यहां के वेस्ट टू एनर्जी प्लांट ने रोजाना 200 टन कचरे को प्रोसेस करके लगभग 5 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है।
  • देहरादून: राज्य की राजधानी देहरादून में भी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके कचरे से बिजली बनाई जा रही है। यहां लगभग 150 टन कचरे को उपयोग में लाकर 3 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है।

कारगर हो रहे “वेस्ट टू एनर्जी” प्लांट

वेस्ट टू एनर्जी प्लांट्स की सफलता ने पर्यावरणीय दृष्टि से बड़ा प्रभाव डाला है। ये प्लांट्स न केवल कचरे के निपटान का एक प्रभावी तरीका प्रदान कर रहे हैं, बल्कि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को भी कम कर रहे हैं। इसके साथ ही, बिजली उत्पादन के क्षेत्र में इन प्लांट्स ने एक स्थायी और स्वच्छ ऊर्जा स्रोत के रूप में अपनी जगह बनाई है।

वेस्ट टू एनर्जी की मुख्य विशेषताएं

  • कचरे का पुनर्चक्रण: जैविक और गैर-जैविक कचरे को अलग कर उपयोगी संसाधनों में बदला जाता है।
  • ऊर्जा उत्पादन: प्लांट्स में बिजली उत्पादन के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल होता है।
  • पर्यावरण संरक्षण: प्लांट्स से कचरे का निपटान सुरक्षित तरीके से होता है, जिससे प्रदूषण कम होता है।
  • स्वच्छता में सुधार: शहरों की स्वच्छता स्थिति बेहतर हुई है।

देहरादून और हरिद्वार ने वेस्ट टू एनर्जी प्लांट्स के जरिए न केवल पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान किया है, बल्कि ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में नई मिसाल कायम की है। यह पहल न केवल उत्तराखंड के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यदि अन्य शहर भी इस मॉडल को अपनाते हैं, तो भारत स्वच्छ और ऊर्जा सम्पन्न देश बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ सकता है।

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