उत्तराखंड में UCC पर जानकारी फैलाने के लिए बनेगा डेटाबेस, अब लिव-इन या शादी शुदा हर जोड़े को देनी होगी अपनी असली जानकारी

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उत्तराखंड ने एक इतिहास रचा जब राज्य यूसीसी को रिश्वत देने वाला पहला राज्य बन गया। लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. इसे बढ़ाने के लिए अब राज्य उत्तराखंड सिविल कोड डेटाबेस बनाने जा रहा है। इसमें हर शादीशुदा पुरुष या महिला के बारे में पूरी जानकारी होगी। इस डेटाबेस के जरिए कोई भी पुरुष या महिला अपने पार्टनर के रिश्ते के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है। इससे समाज में प्रेम संबंधों या विवाह में धोखाधड़ी जैसे मामलों पर रोक लगेगी।उत्तराखंड में लाइव जिहाद के मामले काफी बढ़ गए हैं, जहां पार्टनर अपनी पहचान छुपाता है, अब उत्तराखंड में हर शादीशुदा या लिव-इन रिलेशनशिप जोड़े को अपनी पूरी जानकारी उत्तराखंड समान नागरिक संहिता के डेटाबेस में जमा करनी होगी।

18 साल के युवा को लव रहना चाहते है तो लाना होगी माता पिता का आज्ञापत्र

समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के इन नए प्रावधानों को राज्य में 2024 के आखिरी महीनों तक लागू किया जाना है। इन नए प्रावधानों को लागू करने का उद्देश्य लोगों को अपनी मूल पहचान छिपाकर दूसरों को गुमराह करके रिश्ते बनाने से रोकना है। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के नए प्रावधानों के तहत राज्य का कोई भी नागरिक शादी करने या लिव-इन रिलेशनशिप में रहने की योजना बनाने से पहले अपने साथी के पिछले रिश्तों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेगा।

उत्तराखंड नागरिक संहिता नियमावली तैयार करने वाले नौ सदस्यीय पैनल के प्रमुख पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि उत्तराखंड नागरिक संहिता के तहत राज्य के सभी जोड़ों को शादी या लिव-इन रिलेशनशिप के लिए अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना होगा। प्रत्येक जोड़े को अपनी शादी या लिव-इन रिलेशनशिप को पंजीकृत करते समय दी गई जानकारी यूसीसी डेटाबेस में संग्रहीत मिलेगी। जिससे हमें भविष्य में तथ्यों का उल्लेख करने में आसानी होगी। उन्होंने कहा कि यह जानकारी कानून के अनुसार दी जाएगी और दोनों भागीदारों के साथ तभी साझा की जाएगी जब वे शारीरिक रूप से उपस्थित हों। इसके लिए उन्हें लिखित अनुरोध करना होगा।

इस पंजीकरण प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा एक ऑनलाइन पंजीकरण ऐप विकसित किया जा रहा है। ऐप के विकसित होने से लोगों के लिए पंजीकरण करना आसान हो जाएगा। इस रजिस्ट्रेशन में जोड़ों को अपना आधार विवरण या बायोमेट्रिक्स प्रदान करना होगा, इस पर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा। लिव इन रिलेशनशिप में ब्रेकअप या शादी के बाद तलाक के मामले में जोड़ों को सटीक रिलेशनशिप स्टेटस रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए रिलेशनशिप टर्मिनेशन फॉर्म भरना और जमा करना होता है। इसके अलावा अगर 18 से 21 साल की उम्र का कोई जोड़ा लिव-इन रिलेशनशिप में रहने की योजना बना रहा है, तो उनके माता-पिता को भी उनके रिश्ते के बारे में पता होना चाहिए।