उत्तराखंड में धामी सरकार की धूम जो बोला वो करके दिखाया, अगले हफ्ते लागु हो सकती है राज्य में समान नागरिक संहिता

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता को लेकर बड़ा अपडेट आया है. स्पष्ट है कि समान नागरिक संहिता बनाने वाला उत्तराखंड पहला राज्य होगा।संवैधानिक व्यवस्था के तहत कुछ ही दिनों में राज्य में समान नागरिक संहिता कानून लागू किया जा सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस रंजना देसाई की अगुवाई वाली कमेटी कुछ ही दिनों में यह ड्राफ्ट राज्य सरकार को सौंपने जा रही है।

रंजना समिति ने प्रस्तुत किया मसौदा और जल्द ही होगा लागू

इसके साथ ही उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। सीएम धामी ने भी कुछ समय पहले कहा था कि उत्तराखंड पहला राज्य होगा जहा से इसकी शुरुआत से होगी। उत्तराखंड एक ऐसी जगह है जहां हर धर्म के लोग आपसी सौहार्द के साथ रहते हैं। लेकिन अब यहां भी लोगों को धोखा देकर, लालच देकर और गुमराह करके धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। देवभूमि के मूल स्वरूप को बनाए रखने के लिए इसे रोकना जरूरी है।

उत्तराखंड उत्कृष्ट कानून व्यवस्था वाला एक शांतिपूर्ण राज्य है। पिछले कुछ समय से लोग यहां अवैध रूप से बस रहे हैं, जिसके कारण जनसांख्यिकीय परिवर्तन भी देखा गया है। इस विधेयक के आने के बाद उत्तराखंड में किसी को भी कानून व्यवस्था अपने हाथ में लेने का हक नहीं होगा। आपको बता दें कि पिछले साल राज्य चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता लागू करने की बात कही थी, उन्होंने इसे अपनी पहली प्राथमिकता बताया था।

पार्टी बहुमत में आ गई, उन्होंने आदेश दिया और समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन के लिए एक मसौदा तैयार करने के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय मसौदा समिति का गठन किया गया। मसौदे में बहुविवाह/बहुपति प्रथा पर प्रतिबंध, महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 18 से 21 वर्ष, बच्चे को गोद लेने के लिए समान कानून और मुस्लिम महिलाओं के लिए माता-पिता की संपत्ति में समान हिस्सेदारी जैसी कई चीजों की सिफारिश की गई है। राज्य की समान नागरिक संहिता की पहल इस साल राज्य में प्रस्तावित आगामी लोकसभा और नगर निगम चुनाव के लिहाज से काफी अहम हो सकती है.