खंडरो की बुनियाद पर खड़ा है उत्तराखंड, अल्मोड़ा के नीचे मिले 1000 साल पुराने सभ्यता के प्रमाण ढूंढते हुए पहुंचा ASI

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उत्तराखंड की भूमि को यूहीं देवभूमि कहा जाता है। यह पवित्र भूमि अपने आप में कई रहस्यों को समेटे हुए है। समय-समय पर यहां प्रागैतिहासिक काल के कई साक्ष्य भी मिलते रहते हैं, चाहे वे सिंधुघाटी से संबंधित हों या उससे भी कहीं अधिक पुराने। लेकिन ये सभी साक्ष्य यह सिद्ध करते हैं कि प्राचीन काल में भी उत्तराखंड ने भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

रामगंगा घाटी के नीचे समय समय पर मिले पुख्ता सबूत

कनेक्शन तो इसके साथ ही एक कनेक्शन सम्राट अशोक से भी जुड़ता है.हाल ही में पुरातत्वविदों ने कुमाऊं के प्रसिद्ध शहर अल्मोड़ा में एक पौराणिक शहर होने की संभावना जताई है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का कहना है कि गेवाड घाटी में स्थित रामगंगा नदी के नीचे कोई पौराणिक नगर हो सकता है।

यह टीम नदी के किनारे स्थित पहाड़ों और मैदानों की जांच करेगी. इसमें देखा जाएगा कि कई सौर मंदिर यहां कैसे बने और इन्हें किसने स्थापित किया। ययरयASI को उम्मीद है कि रामगंगा नदी के किनारे 9वीं सदी से 15वीं सदी तक की कोई सभ्यता रही होगी, जिसने यहां विशाल मंदिर बनवाए।

इसकी जांच के लिए एएसआइ की एक टीम जनवरी माह में अल्मोड़ा जायेगी। पुरातत्व सर्वेक्षण के देहरादून सर्किल के अधीक्षण पुरातत्वविद् मनोज सक्सैना का कहना है कि अगर उन्हें कोई ठोस साक्ष्य मिल पाता है तो यहां आगे की खुदाई के र

मामले में आगे बढ़ें और फिर ररखुदाई की अनुमति मांगें। उस क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों को देखकर ऐसा लगता है कि नदी के किनारे कभी कोई सभ्यता रही होगी। इसीलिए कई पहलुओं पर गौर करने के बाद एएसआई जिस नतीजे पर पहुंचा है उससे कहीं आगे निकल गया है।

आपको बता दें कि गेवाड़ घाटी में चौखुटिया विकास खंड, द्वाराहाट में तड़ागताल, नायगाड़, जौरासी, नैथना, खीड़ा, मासी तक के क्षेत्र शामिल हैं। अब यहां जमीन के नीचे दबे पुराने शहर के सबूत तलाशे जा रहे हैं। आने वाले समय में गेवाड घाटी का एक पुराना शहर दुनिया के सामने आ सकता है, जो उत्तराखंड के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी।