उत्तराखंड के युवा अपने आत्मविश्वास और देवी-देवताओं के आशीर्वाद से अपना नाम रोशन कर रहे हैं, जिसकी बदौलत वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर कई उपलब्धियां हासिल कर पा रहे हैं जो कई लोगों के लिए प्रेरणा हैं तो कई के लिए असंभव। देवभूमि के हर दूसरे घर में एक व्यक्ति सेना में अपनी सेवाएँ दे रहा है और सैनिकों के प्रति सम्मान पहले और दूसरे व्यक्ति सहित हर किसी के दिल में है।
भारतीय सेना में कार्यरत है पिता राजेंद्र सिंह खड़ायत
उत्तराखंड के बेटे ही नहीं बेटियां भी भारत माता की रक्षा के लिए भारतीय सेना में हर सीमा पर कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हैं। आज हम आपको हल्द्वानी की एक ऐसी बेटी की उपलब्धि के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने अपनी कड़ी मेहनत से भारतीय नौसेना में ‘सब लेफ्टिनेंट’ का पद हासिल किया है। हम बात कर रहे हैं सुनीता खड़ायत की, जो कि नैनीताल शहर हलद्वानी, शिव दुर्गा विहार फूलचोड़ क्षेत्र की रहने वाली हैं।
सुनीता मूल रूप से रानीखेत, अल्मोडा की रहने वाली हैं। हाल ही में उन्होंने गुजरात के आईएनएस वलसुरा में अपना प्रशिक्षण पूरा करने के बाद 27 मार्च को भारतीय नौसेना में सब लेफ्टिनेंट के रूप में शपथ ली।सुनीता बचपन से ही देश के लिए सेवा करना चाहती हैं। रक्षा क्षेत्र में अपना भविष्य बनाने की प्रेरणा उन्हें अपने पिता राजेंद्र सिंह खड़ायत से मिली, जो भारतीय सेना में सूबेदार के पद पर कार्यरत हैं।
अपनी प्राथमिक शिक्षा आर्मी पब्लिक स्कूल और कॉन्वेंट स्कूल से प्राप्त करने वाली सुनीता ने अपनी इंटरमीडिएट की शिक्षा आर्मी पब्लिक स्कूल, दिल्ली से पूरी की। स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने देहरादून से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया।
सुनीता ने बचपन से ही अपने व्यवहार, एकाग्रता और जुनून से अपने परिवार का विश्वास अर्जित किया था, आखिरकार उन्होंने यह अद्भुत उपलब्धि हासिल की और इसका सारा श्रेय अपने माता-पिता को दिया। माता-पिता के समर्थन और धैर्य के बिना, किसी भी बच्चे को कुछ भी हासिल करने से पहले 100 चुनौतियों पर काबू पाने की चुनौती का सामना करना पड़ता है। इससे न केवल उसका आत्मविश्वास कम होता है बल्कि उसकी सफलता में भी देरी होती है।