जानिए उत्तराखंड के रामायन कालीन मंदिर के बारे में, रघुनाथ मंदिर जहां राम ने युद्ध के बाद की थी तपस्या

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अयोध्या में श्री राम लला की स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं और लगभग पूरी हो चुकी हैं।पूरा देश राममय है और इस दिन को धूमधाम से मना रहा है। आज इस शुभ अवसर पर हम आपको उत्तराखंड के प्रसिद्ध राम मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जी हां, आपने सही सुना राम का उत्तराखंड से भी गहरा नाता है।

ब्रह्मा हत्या के दोष से मुक्ती के लिए करी थी तपस्या

हम आपको बताना चाहते हैं कि राम ने रावण को मारने के बाद ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए देवप्रयाग में यहीं तपस्या की थी। हम बात कर रहे हैं देवप्रयाग स्थित रघुनाथ मंदिर की। कहा जाता है कि यह मंदिर भगवान राम की तपस्थली रही है।

जिस स्थान पर श्री राम ने तपस्या की थी वहां अब एक मंदिर हैअघुनाथ मंदिर की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी। देवप्रयाग का प्राचीन रघुनाथ मंदिर न केवल केदारखंड में मिलता है, बल्कि इतिहासकार ह्वेन त्सांग ने अपने यात्रा वृतांत में भी इसका उल्लेख किया है। मंदिर का उल्लेख मंदिर परिसर के शिलालेखों और गढ़वाल के प्राचीन पंवार शासकों की कई पुरानी तांबे की प्लेटों में भी किया गया है।

इतिहासकारों के अनुसार, पंवार वंश के राजा कनकपाल के पुत्र के गुरु शंकर ने लकड़ी से मंदिर शिखर का निर्माण कराया था। गुरु शंकर और आदि गुरु शंकराचार्य का काल आठवीं शताब्दी का है। स्कंद पुराण के एक भाग केदारखंड में उल्लेख है कि त्रेता युग में ब्रह्मा हत्या के दोष से मुक्ति पाने के लिए श्रीराम ने देवप्रयाग में तपस्या की और विश्वेश्वर शिवलिंगम की स्थापना की।

कत्यूर शैली में बने रघुनाथ मंदिर में मंडप, महामंडल, गर्भगृह और शिखर पर आमलक है। केंद्रीय मंदिर में भगवान रघुनाथ की मूर्ति है। जो खड़ी मुद्रा में एक ग्रेनाइट प्रतिमा है। इसकी ऊंचाई करीब साढ़े छह फीट है. बद्रीनाथ धाम तीर्थ पुरोहित समाज यहां का पुजारी है।

यहां पर संगम से रघुनाथ मंदिर तक 101 सीढ़ियां चढ़कर राम का नाम जपते हुए पहुंचने की परंपरा है। पौष माह में यहां महापूजा का आयोजन किया जाता है।