देश के पांचवे नंबर का स्कूल बना उत्तराखंड का घोड़ाखाल का सैनिक स्कूल, देश को दे चुका है 600 से ज्यादा अफसर

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बेहतर शिक्षा प्रणाली और बेहतर अनुशासन के लिए अपने बच्चों को सैनिक स्कूलों में दाखिला दिलाना हर माता-पिता का सपना होता है। सैनिक स्कूल से पासआउट होने के बाद यह स्कूल उनके लिए सैन्य क्षेत्र में शानदार करियर बनाने का रास्ता खोलता है। उत्तराखंड को वीरों की भूमि कहा जाता है; यहां के हर युवा का सपना है कि वह देश की सेवा करे और समाज में बड़ा योगदान दे।

1966 में जवाहर लाल नेहरू ने रखी थी स्कूल की नींव

यही कारण है कि उत्तराखंड के युवा बचपन से ही सेना में भर्ती होने का सपना देखते हैं और उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना अपनी जवानी भारत माता के नाम कर दी। भले ही उत्तराखंड में सुविधाओं का अभाव है, लेकिन उत्तराखंड के आधे से ज्यादा युवा सेना में भर्ती होते हैं। वह अपनी योग्यता और समर्पण से सैन्य वर्दी प्राप्त करते हैं। उत्तराखंड घोड़ाखाल सैनिक स्कूल उन बच्चों को सुनहरा अवसर प्रदान करता है जो सेना में शामिल होना चाहते हैं।

इस स्कूल के लिए एक अच्छी खबर है. हम आपको बताना चाहते हैं कि उत्तराखंड का घोड़ाखाल सैनिक स्कूल देश का एक ऐसा स्कूल है जिसने अब तक देश को 600 से अधिक अधिकारी दिए हैं और उनके प्रदर्शन के दम पर स्कूल ने पूरे देश में 5वीं रैंकिंग हासिल कर एक नया मुकाम हासिल किया है। यह उत्तराखंड के लिए बहुत खुशी और गर्व की बात है कि हमारे राज्य में ऐसे स्कूल हैं जो देश को हमेशा नए अधिकारी देते हैं।

यह स्कूल एक व्यापक और उत्कृष्ट शैक्षिक कार्यक्रम प्रदान करता है जो बच्चों को आत्मनिर्भर और जिम्मेदार बनाता है जो एक महत्वपूर्ण और गौरवपूर्ण करियर के लिए आवश्यक है। देश की सुरक्षा को मजबूत करने में घोड़ाखाल स्कूल का अहम योगदान है। सैनिक स्कूल घोड़ाखाल की स्थापना 1966 में भारत के पहले प्रधान मंत्री द्वारा की गई थी। यह सैनिक स्कूल नैनीताल के भुवाली क्षेत्र की खूबसूरत पहाड़ियों के बीच स्थित है। घोड़ाखाल सैनिक स्कूल इससे पहले 8 बार ऑल इंडिया रैंकिंग में नंबर वन बन चुका है। ऐसे विद्यालयों के बच्चों एवं शिक्षकों पर देश एवं प्रदेश को गर्व है। ऐसे वीर सैनिकों को पाकर उत्तराखंड की भूमि धन्य है।