पलायन छोड़ चमोली के युवकों ने गाँव में शुरू करा मछली पालन, उत्तराखंड सरकार की मत्स्य संपदा योजना से हर साल कमा रहे लाखों

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उत्तराखंड के युवा विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर स्वरोजगार अपना रहे हैं और खूब पैसा कमा रहे हैं। आज हम मतस्य पालन से जुड़ी योजना के बारे में बता रहे हैं। जनपद चमोली के 11 युवाओं ने इस योजना का अच्छा लाभ उठाया है और आज वे घर बैठे ही लाखों की कमाई कर रहे हैं। पहाड़ के जिस युवा के पास अपनी जमीन है, वह नौकरी की तलाश में पलायन करने की बजाय इस विकल्प को चुन सकता है।

मत्स्य संपदा योजना से बेरोजगारी से लड़ने में सक्षम

इसका लाभ उठाकर सरकार की मत्स्य संपदा योजना में नामांकन कराएं। राज्य में बेरोजगारी की मार झेल रहे युवाओं के लिए मछली पकड़ने का व्यवसाय चमोली जिले में रोजगार का महत्वपूर्ण साधन बनता जा रहा है। इससे न केवल स्थानीय युवाओं को रोजगार मिल रहा है, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार हो रहा है।

यह सर्वविदित है कि चमोली की नदियों में पाई जाने वाली ट्राउट मछली का स्वाद देशभर के मछली प्रेमियों की पहली पसंद बन गया है। वर्ष 2018 में चमोली जिले के देवाल ब्लॉक के ल्वाणी गांव में गांव के 11 युवाओं ने मोहन सिंह बिष्ट के सहयोग से देवभूमि मत्स्यजीवी सहकारी समिति का गठन किया। इस समिति के माध्यम से उन्होंने वर्ष 2019-20 में 10 ट्राउट रेस वेजेज से मछली पकड़ना शुरू किया। इस प्रयास से समिति को अब प्रति वर्ष 4 से 5 लाख रुपये की आय हो रही है।

स्वरोजगार के इस मॉडल से प्रेरित होकर ल्वाणी गांव के अन्य ग्रामीणों ने भी 20 और आसपास के गांवों के ग्रामीणों ने 40 ट्राउट रेस की स्थापना की है। बेहतर उत्पादन को देखते हुए जिला प्रशासन ने समिति को मार्केटिंग के लिए पैकिंग प्लांट की सुविधा उपलब्ध करायी है. जिसके चलते ये लोग मछली को पैक करके दूर-दूर तक भेजते हैं. मुख्य विकास अधिकारी, चमोली अभिनव शाह ने कहा कि चमोली में युवाओं को मत्स्य पालन के माध्यम से स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है।