पर्यटन उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। इस क्षेत्र में पर्यटन के अपार साधन हैं। ऐसे में राज्य सरकार भी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बड़ी परियोजनाओं पर काम कर रही है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं.इसी कड़ी में देहरादून के गढ़ी कैंट से मसूरी के बीच हेली सेवा शुरू करने पर काम चल रहा है।
![](https://awaazuttarakhand.in/wp-content/uploads/2023/10/Untitled-design-1-35.png)
हेली सेवा से पर्यटकों को जाम से मिलेगी मुक्ति
अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो वह दिन दूर नहीं जब आने वाले समय में पर्यटक हवाई सेवा के जरिए देहरादून से मसूरी तक का सफर कर सकेंगे। इसी सिलसिले में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज मसूरी पहुंचे, यहां उन्होंने सर जॉर्ज एवरेस्ट क्षेत्र का दौरा किया और व्यवस्थाओं का जायजा लिया।
इसका उपयोग सर जॉर्ज एवरेस्ट क्षेत्र में पर्यटकों की आवाजाही के लिए किया जाना है, ताकि यहां आने वाले लोगों को किसी परेशानी का सामना न करना पड़े। इस दौरान सतपाल महाराज ने अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि यहां देश का पहला कार्टोग्राफिक म्यूजियम बनाया गया है जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहा है. जल्द ही जॉर्ज एवरेस्ट से हिमालय दर्शन के लिए हेली सेवा शुरू होगी। देहरादून के गढ़ी कैंट से मसूरी तक हेली सेवा शुरू की जाएगी।
इस सेवा से लोगों को काफी फायदा होगा और लोग ट्रैफिक जाम में फंसे बिना मसूरी पहुंच सकेंगे. स्थानीय लोगों के साथ ही पर्यटक भी हेली सेवा का आनंद ले सकेंगे. जॉर्ज एवरेस्ट पर लोगों को दी जा रही सुविधाएं पर्यटन के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होंगी। मसूरी शहर दुनिया भर के पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय है, यहां का जॉर्ज एवरेस्ट हेलीपैड राधानाथ सिकदर को समर्पित है। जिन्होंने माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई मापी. आने वाले समय में यहां हवाई सेवाओं का विस्तार किया जाएगा।
![](https://awaazuttarakhand.in/wp-content/uploads/2023/10/Untitled-design-2-33.png)
क्यों खास है ये कार्टोग्राफी म्यूजियम
इससे पहले 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने 23 करोड़ 52 लाख रुपये की लागत से बने सर जॉर्ज एवरेस्ट संग्रहालय, जो भारत का पहला मानचित्रकला संग्रहालय है और मसूरी में जॉर्ज एवरेस्ट पर हेलीपैड का उद्घाटन किया था।पर्यटन मंत्री ने देश का पहला मानचित्रण संग्रहालय महान गणितज्ञ राधानाथ सिकदर और पंडित नैन सिंह रावत को समर्पित किया।उल्लेखनीय है कि यह संग्रहालय पार्क एस्टेट में स्थित है, जो प्रसिद्ध सर्वेक्षक सर जॉर्ज एवरेस्ट का निवास स्थान हुआ करता था, जिनके नाम पर माउंट एवरेस्ट का नाम रखा गया था। यह पहाड़ी शहर के हाथीपांव इलाके में है। सर एवरेस्ट इस घर में 1832 से 1843 तक रहे थे और यह मसूरी में बने पहले घरों में से एक है।1832 में बने सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस को एक संग्रहालय के रूप में विकसित किया गया है। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की सहायता से पर्यटन विभाग ने 23.5 करोड़ रुपये के बजट से इसका नवीनीकरण किया है।संग्रहालय में मानचित्रकला के इतिहास, मानचित्रकला से संबंधित उपकरणों, महान भारतीय सर्वेक्षणकर्ताओं और महान त्रिकोणमितीय सर्वेक्षण के बारे में जानकारी शामिल है।इस संग्रहालय में सर जॉर्ज एवरेस्ट के साथ-साथ सर्वेयर नैन सिंह रावत के पत्र भी रखे जाएंगे।