जो लोग अपनी कार से उत्तराखंड घूमने जाएंगे उनके लिए एक बड़ी खबर आ रही है। अब उत्तराखंड में बाहरी राज्यों से आने वाले निजी वाहनों को ग्रीन सेस देना होगा। आइए आपको बताते हैं कि दरअसल, यह एक तरह का टैक्स है जो पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों पर लगाया जाता है क्योंकि ये प्रदूषण फैलाते हैं।
आखिर क्या होता है ग्रीन सेस
आपको बता दें कि उत्तराखंड की सीमा में प्रवेश करते ही टोल टैक्स के साथ-साथ ग्रीन सेस भी काटा जाएगा। आपको बता दें कि वाहनों की श्रेणी के हिसाब से 20 रुपये से लेकर 80 रुपये तक ग्रीन सेस वसूलने की योजना बनाई जा रही है। यह योजना भी जल्द लागू की जायेगी।
इसके साथ ही NHAI को पत्र भेजकर टोल प्लाजा सिस्टम में ग्रीन सेस जोड़ने का अनुरोध किया गया है। परिवहन सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी के मुताबिक इससे राज्य को हर साल हरित उपकर के माध्यम से 40 से 45 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होगी। वर्तमान में, वाणिज्यिक वाहनों से उनके पंजीकरण और नवीनीकरण के समय हरित उपकर एकत्र किया जाता है और दूसरे राज्यों से आने वाले वाणिज्यिक वाहनों से इसे टैक्स रूम में एकत्र किया जाता है।
परिवहन विभाग की ओर से ग्रीन सेस का ड्राफ्ट तैयार कर विधायी विभाग को भेज दिया गया है. जिसके अनुसार तीन पहिया, विक्रम, ऑटो, ई-रिक्शा आदि के लिए 20 रुपये, हल्के चार पहिया वाहन, छोटी कार आदि के लिए 40 रुपये और मध्यम मोटर वाहन- टैक्सी, मैक्सी, छोटे ट्रक आदि के लिए 60 रुपये निर्धारित किया गया था. भारी वाहनों-निजी बसों, ट्रैवलर्स आदि के लिए 80 रुपये।