पहले किया नज़रअंदाज़ अब वही बचायेगा सिल्क्यारा सुरंग के पीड़ितों की जान, क्या सच में सुरंग पास बौखनाग का मंदिर बनने से खुलेगा रास्ता

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दिवाली के ठीक पहले उत्तरकाशी के सिल्कयारा टनल में हुआ दर्दनाक हादसा, 41 लोगों की जान अभी भी टनल में फंसी है, उनकी परेशानी और उनके परिवार का दुख शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। सुरंग में जिंदा रहने लायक हवा ही है, इस हादसे को एक हफ्ता बीत चुका है, लेकिन अभी तक सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाया नहीं जा सका है।

जब फ़ैल हुई सारी आधुनिक तकनीक तब सबने लिया आस्था का साथ

हालांकि सिल्क्यारा सुरंग दुर्घटना को मानवीय भूल का परिणाम बताया जा रहा है, लेकिन स्थानीय ग्रामीणों का मन इस बात से सहमत नहीं है कि उनका कहना यह है की बौखनाग देवता के क्रोध के कारण हुआ है, जब कंपनी सुरंग बना रही थी, तब यह मंदिर हटा दिया गया था। अब जब 41 मजदूरों को बचाने के लिए सारी आधुनिक तकनीकें फेल हो रही हैं तो टेक्नोलॉजी के साथ-साथ आस्था का भी सहारा लिया जा रहा है, ताकि 41 मजदूरों को सुरंग से बाहर निकाला जा सके।

क्षेत्र के ग्रामीणों के दबाव पर कंपनी प्रबंधन ने अब सुरंग के बाहर बौखनाग देवता का मंदिर स्थापित कर दिया है। पहले इस मंदिर को हटाकर सुरंग के अंदर कोने में स्थापित कर दिया गया था। शनिवार को यहां पुजारी द्वारा विशेष पूजा-अर्चना करायी गयी। बोखनाग देवता, जिन्हें सिल्क्यारा क्षेत्र का रक्षक माना जाता है, मंदिर के पास स्थानांतरित हो गए। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब सुरंग का निर्माण शुरू किया गया था तो कहा गया था कि सुरंग के पास बाबा बौखनाग का मंदिर स्थापित किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

ग्रामीणों का मानना ​​है कि बौखनाग देवता की नाराजगी के कारण यह हादसा हुआ है। अब ग्रामीणों की मांग पर कंपनी यहां बौखनाग देवता का मंदिर स्थापित करने को तैयार है। कुल मिलाकर सुरंग में फंसे लोगों की जान बचाने की हरसंभव कोशिश की जा रही है। मजदूरों के परिजन टनल के पास पहुंच गए हैं और अपनों के बाहर आने का इंतजार कर रहे हैं।