वीरभूमि उत्तराखंड के निवासी अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए सदैव अपना सर्वस्व समर्पित करते आये हैं, इस क्षेत्र के युवा प्राचीन काल से ही सैन्य क्षेत्रों में जाने के लिए सदैव उत्सुक रहते हैं। मातृभूमि की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान देने को तत्पर रहने वाले राज्य के इन वीर सपूतों के कारण ही आज के समय में उत्तराखंड का नाम देश-विदेश में बड़े गौरव और सम्मान के साथ लिया जाता है। यहां के होनहार युवा आज भी अपने परिवार की सैन्य परंपरा को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
मूल रूप से अल्मोड़ा के, पिता भी है सेनामें अफसर
वे भारत माता के प्रति अपना समर्पण दिखाने में कभी पीछे नहीं हटे। आज हम आपको प्रदेश के एक और ऐसे होनहार युवा से मिलवाने जा रहे हैं, जिसने भारतीय सेना में सेकेंड लेफ्टिनेंट बनकर न सिर्फ अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है, बल्कि उसे अपने क्षेत्र के साथ-साथ पूरे प्रदेश का नाम रोशन करने का सुनहरा मौका मिला है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मूल रूप से राज्य के अल्मोडा जिले के सोमेश्वर क्षेत्र के ग्राम बजल, पोस्ट रणमन के निवासी यशराज सिंह खड़ाई भारतीय सेना में सेकेंड लेफ्टिनेंट बन गए हैं। वह उस परिवार से आते हैं जिनकी पृष्ठभूमि सैन्य है, यशराज के पिता मदन सिंह खड़ाई भारतीय सेना से कैप्टन के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं जबकि उनकी मां उमा देवी एक कुशल गृहिणी हैं। यशराज, जिन्होंने परिवार की सैन्य परंपरा को आगे बढ़ाया, उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा आनंद वैली स्कूल, सोमेश्वर से प्राप्त की।
उनके पिता जम्मू में तैनात थे, उन्होंने छठी से आठवीं कक्षा तक की शिक्षा जम्मू से प्राप्त की। जिसके बाद देहरादून से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वर्ष 2019 में उनका चयन एनडीए में हो गया, जिसके परीक्षा परिणाम में उन्होंने ऑल इंडिया लेबल पर 17वीं रैंक हासिल की थी। इसके बाद वह प्रशिक्षण के लिए आईएमए देहरादून में शामिल हो गए जहां चार साल के कठिन प्रशिक्षण के बाद वह भारतीय सेना में सेकेंड लेफ्टिनेंट बन गए।