कैप्टन कूल के नाम से मशहूर महेंद्र सिंह धोनी इन दिनों उत्तराखंड के दौरे पर हैं, कल उन्होंने नैनीताल का दौरा किया। अब वह अपने परिवार के साथ उत्तराखंड स्थित अपने पैतृक गांव पहुंच गए हैं।धोनी, जिनकी फैन फॉलोइंग भारत में ही नहीं बल्कि बाहर भी सबसे ज्यादा है।
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गांव में न है बिजली न ही है ढंकी सड़क
अपने शानदार खेल से देशभर के खेल प्रेमियों के दिलों पर राज करने वाले धोनी इन दिनों उत्तराखंड में हैं, आज उन्होंने उत्तराखंड के अल्मोडा जिले के जैंती तहसील स्थित अपने पैतृक गांव का दौरा किया। अल्मोडा के ल्वाली गांव को पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के गांव के रूप में जाना जाता है, लेकिन इन सबके बावजूद यह गांव पलायन का दर्द झेल रहा है।
यह गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है, जिससे लोगों को तलाश में दूसरे स्थानों पर जाना पड़ता है नौकरियां। महेंद्र सिंह धोनी के परिवार की तरह, परिवार के अन्य सदस्य भी अन्य स्थानों पर बस गए हैं जहाँ वे आसानी से अपना जीवन यापन कर सकते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, महेंद्र सिंह धोनी का परिवार आखिरी बार 2004 में अपने गांव आया था। गांव में महिलाओं की आबादी पुरुषों से ज्यादा है।
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क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी के पिता पान सिंह ने 70 के दशक में अपना पैतृक गांव छोड़ दिया था। हालांकि वह समय-समय पर अपने गांव में धार्मिक आयोजनों के लिए आते रहते हैं। धोनी के चाचा घनपत सिंह भी अब गांव में नहीं रहते हैं। वह भी वर्षों पहले गांव से पलायन कर हलद्वानी में बस गये थे। उत्तराखंड बनने से पहले महेंद्र धोनी ने अपने पैतृक गांव में जनेऊ संस्कार किया था।
ल्वाली गांव में अब कुछ ही परिवार रहते हैं, बाकी लोग सुविधाओं के अभाव में पलायन कर चुके हैं। कुछ समय पहले ही गांव में सड़क बनी है। चूंकि यह महेंद्र सिंह धोनी का गांव है और अब वह एक बड़ी शख्सियत हैं, तो गांव वालों को उम्मीद थी कि धोनी के नाम की वजह से कोई उनके गांव की भी सुध लेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
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धोनी इन दिनों अपनी पत्नी और बेटी के साथ उत्तराखंड आए हुए हैं। गांव के लोगों को उम्मीद है कि इस बार महेंद्र सिंह धोनी उनके गांव आएंगे तो वह गांव वालों के साथ कुछ वक्त बिताएंगे और उनकी समस्याएं सुनेंगे।