मिलिए उत्तराखंड की M.Sc चायवाली से, जिन्होंने कोविड में ढूँढ़ा अवसर और बना डाली 150 से ज्यादा असरदार आयुर्वेदिक चाय

आज हम आपको उत्तराखंड की एमएससी चायवाली से परिचित कराएंगे। एमबीए चायवाली की तरह इस लड़की ने कुछ अलग किया है। हम बात कर रहे हैं प्रियंका की जो अपने खास हर्बल चाय फॉर्मूलों के साथ बाजार में उतरी हैं, करीब तीन साल की रिसर्च के बाद उन्होंने 105 तरह के चाय फॉर्मूले तैयार किए हैं और अच्छी बात यह है कि उन्हें न सिर्फ स्थानीय जगहों से बल्कि विदेश में भी से भी अच्छा रिस्पॉन्स मिलना शुरू हो गया है। उन्हें पहला ऑर्डर जापान से मिला है।

देश ही नहीं विदेशों से भी लोग कर रहे है ऑनलाइन बुकिंग

कोरोना काल में जब सभी काम-धंधे बंद थे, उस समय प्रियंका ने अपने पति और टिहरी के थौलधार ब्लॉक के हिम्मत बिष्ट से इस बारे में चर्चा की, उन्होंने देखा कि किस तरह लोग अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक उत्पादों का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं। इसलिए उन्हें भी इस क्षेत्र में काम करने का दिलचस्प विचार आया और उन्होंने हर्बल उत्पादों और चाय के क्षेत्र में आगे बढ़ने का फैसला किया। प्रियंका ने वनस्पति विज्ञान में एमएससी पूरी की है और उन्होंने इसका भरपूर उपयोग किया।

फिर उन्होंने रिसर्च का काम शुरू किया और करीब 3 साल की रिसर्च के बाद उन्होंने 105 तरह के चाय के फॉर्मूले तैयार किए. फिलहाल बाजार में सिर्फ 18 तरह की चाय लॉन्च की गई है.प्रियंका ने वेदवी हर्बल टी के नाम से अपना प्रोडक्ट बाजार में उतारा। वर्तमान में, वे इस चाय को ऑनलाइन माध्यम से बेच रहे हैं और देहरादून सहित देश के विभिन्न शहरों से अच्छी प्रतिक्रिया मिलने से बहुत उत्साहित हैं। उनके पति हिम्मत बिष्ट ने बताया कि वेदावी हर्बल टी को जापान से भी ऑर्डर मिला है।

प्रियंका ने हर्बल टी के जरिए लोगों को हेल्दी चाय मुहैया कराने का लक्ष्य रखा है और इसी वजह से उन्होंने अपना स्टार्टअप शुरू किया है। उनकी चाय को उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों की उच्च गुणवत्ता वाली जड़ी-बूटियों का उपयोग करके सावधानीपूर्वक संसाधित किया जाता है। सिर्फ ताजगी के लिए नहीं उनकी चाय मोटापा, हृदय रोग, मधुमेह, पाचन संबंधी समस्याएं, त्वचा और बालों के स्वास्थ्य जैसी कई बीमारियों का समाधान करती है। इसमें लगभग 60 से 70 प्रकार की जड़ी-बूटियाँ शामिल हैं, जो मूल्यवान और गुणवत्तापूर्ण हैं।

प्रियंका के मुताबिक, हर्बल चाय की मार्केटिंग या उत्पादन में रुचि रखने वाले युवाओं के लिए उत्तराखंड में बेहतर अवसर हैं। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार असम चाय के लिए प्रसिद्ध है, उसी प्रकार उत्तराखंड हर्बल चाय का केंद्र बनेगा। असम में एक चाय की पत्ती से 3000 प्रकार की चाय बनाई जाती है, जबकि उत्तराखंड में जड़ी-बूटियों और औषधीय पौधों की विविधता है।

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