मैदानों में चटक धूप तो पहाड़ों में बर्फ़बारी से सड़के बंद, उत्तराखंड में पहाड़ों में आवाजाही खतरनाक कई गाँव से कटा संपर्क

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हालाँकि मैदानी इलाकों में इन दिनों तेज़ धूप दिख रही है लेकिन उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में स्थिति उतनी अच्छी नहीं है। पिछले कुछ दिनों से उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी जारी है. बर्फबारी से पर्यटक तो खुश नजर आ रहे हैं, लेकिन स्थानीय लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई स्थानों पर सड़कें बंद हैं, बुनियादी सुविधाएं भी प्रभावित हो रही हैं क्योंकि पाले के कारण यहां तक ​​परिवहन मुश्किल हो रहा है।

रोजमर्रा की चीजे लाने में हुई दिक्कत

उत्तरकाशी में बर्फबारी के कारण बंद हुआ गंगोत्री हाईवे तीन दिन बाद भी नहीं खुल सका। आज भी बीआरओ की टीम गंगोत्री तक हाईवे खोलने में जुटी हुई है। बुधवार को सुक्की टॉप तक आवाजाही शुरू होने पर स्थानीय लोगों को कुछ राहत मिली। आज धराली तक यातायात सुचारु कर दिया गया है। लेकिन गंगोत्री तक सड़क खुलने में अभी वक्त लगेगा।

ठंढ में आवाजाही के लिए सड़कें अभी भी खतरनाक हैं। हाईवे बंद होने से गंगोत्री समेत उपला टकनौर के सात गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय और अंतरराष्ट्रीय सीमा से कट गया है। वर्तमान में हर्षिल घाटी में बिजली एवं पानी की आपूर्ति सुचारु रूप से चल रही है। आपको बता दें कि सोमवार देर रात बर्फबारी के कारण गंगोत्री हाईवे सुबह करीब छह बजे सुक्की से गंगोत्री तक बंद हो गया था।

इसके बाद से सीमा सड़क संगठन की मशीनरी लगातार हाईवे को सुचारु करने का प्रयास कर रही है। वहीं, रात में हुई बर्फबारी के कारण हाईवे पर फिर से बर्फ जमा हो रही है। जिसके चलते बीआरओ की मशीनरी और मजदूरों को हाईवे खोलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

ऐसी ही स्थिति उत्तराखंड के एक और सीमावर्ती जिले चमोली में पैदा हुई है, जहां जोशीमठ-मलारी राजमार्ग मलारी से आगे बंद है, जिसके कारण सेना के वाहनों की आवाजाही रुक गई है। चमोली-गोपेश्वर-चोपता-उखीमठ हाईवे पर भी कांचुलाखर्क से आगे वाहनों की आवाजाही संभव नहीं है। जिला आपदा प्रबंधन कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के अनुसार बीआरओ की टीम हाईवे को सुचारू करने में जुटी हुई है.