उत्तराखंड में लिली ने सवार दी चमोली के किसानों की जिंदगी, एक योजना से लाखों की आमदनी कर रहे किसान

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चमोली जिले में लिली के फूलों की खेती से किसानों का जीवन एक बार फिर से खुशहाल हो रहा है और उनके जीवन में फिर से खुशबू का संचार होने लगा है। उद्यानिकी विभाग की विभिन्न योजनाओं के प्रारंभ होने से किसानों को काफी लाभ हो रहा है। फूलों से अच्छी आमदनी के चलते अब अन्य किसान भी लिली यानी लिलियम फूलों की खेती के लिए आगे आ रहे हैं।

50 से 100 रुपए में बिक रहा है लिली का एक फूल

बाजार में लिली का एक-एक फूल 50 से 100 रुपये में बिक रहा है. उद्यान विभाग ने जिला योजना मद से 80 प्रतिशत अनुदान पर 16 किसानों के 26 पॉलीहाउस में 25 हजार लिलियम बल्ब लगाये हैं। इस कदम से किसानों ने 23 हजार 500 फूलों की लकड़ियाँ बेचकर अच्छी आय अर्जित की है। किसानों ने विभाग की मदद से फूल बेचने का चैनल तैयार कर लिया है. किसानों ने बताया कि उनके फूलों की मांग ग़ाज़ीपुर मंडी में बड़े पैमाने पर है।

साथ ही अब किसानों के उत्पादों को देहरादून सहित अन्य जिलों में भी बेचने की व्यवस्था की जा रही है। गोपेश्वर के नीरज भट्ट बताते हैं कि लिली के फूलों की खेती से उन्हें दो लाख रुपये की कमाई हुई है। सरकारी अनुदान से उन्होंने गोपेश्वर के पास एक पॉलीहाउस स्थापित किया है, जहां वे लिलियम के साथ-साथ कीवी फल का भी उत्पादन कर रहे हैं।

जिला उद्यान अधिकारी तेजपाल सिंह ने बताया कि बाजार में लिलियम फूल की अच्छी मांग को देखते हुए किसानों को इसके उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. साथ ही बिक्री के लिए बाजार की भी व्यवस्था की जा रही है। जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ उत्तराखंड की जलवायु लिलियम की खेती के लिए उपयुक्त है।

हम आपको बताना चाहेंगे कि लिली नामक इस फूल का वैज्ञानिक नाम लिलियम है। यह फूल खास होता है और इसमें 6 पंखुड़ियां होती हैं और यह सफेद, नारंगी, पीला, लाल और गुलाबी रंग में पाया जाता है। उद्यान विशेषज्ञों के अनुसार चमोली Lilium खेती की 70 दिन में पॉलीहाउस में उपयोग के लिए तैयार हो जाता है।

लिली का उपयोग सजावट के साथ गुलदस्ता बनाने से लेकर कई चीजों में किया जाता है, इसका उपयोग सौंदर्य उत्पाद बनाने में भी किया जाता है।