22 जनवरी 2024 का दिन अब भारत के इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि पांच सौ साल से ज्यादा समय के बाद अयोध्या में राम मंदिर का अभिषेक संपन्न हुआ है. जहां देशवासियों ने इस दिन को रामनवमी और दिवाली की तरह मनाया और हर तरफ राममय माहौल नजर आया, वहीं उत्तराखंड की एक बेटी ने श्री राम के ध्वज के साथ हिंद महासागर की गहराई में स्कूबा डाइविंग करके इस बात को सही साबित कर दिया।
पहले भी समुद्र मे फहरा चुकी है तिरंगा
उनके काम ने साबित कर दिया कि 22 जनवरी को हिमालय की चोटी से लेकर समुद्र की गहराई तक पूरा देश राम का नाम जप रहा है। हम बात कर रहे हैं राज्य के बागेश्वर जिले के द्वारसों गांव के एक सैन्य परिवार से ताल्लुक रखने वाली कल्पना मेहरा की, जिन्होंने 22 जनवरी को हिंद महासागर की गहराई में सफलतापूर्वक स्कूबा डाइविंग करके अपना संकल्प पूरा किया।
इस संबंध में मीडिया से बात करते हुए कल्पना ने बताया कि यह उनके लिए इतना आसान नहीं था. चूंकि वह मालदीव में अपनी नौकरी के कारण विदेश में थीं और टीजीआईएस पर पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत भी खराब चल रही थी। इन दोनों कारणों से उन्हें डर था कि इस बार राम मंदिर के अभिषेक के दिन भगवान राम की ध्वजा के साथ समुद्र की गहराई में उतरने का उनका संकल्प टूट सकता है।
लेकिन गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस में कहा है कि ‘होइहि सोई जो राम रचि राखा’। को करि तारक बढ़ावै सखा”, यह ध्यान में रखते हुए कल्पना ने सब कुछ भगवान राम पर छोड़ दिया। कुछ ही समय में न केवल उसकी छुट्टी मंजूर हो गई, बल्कि अस्वस्थ होने के बावजूद वह भगवान का नाम लेकर समुद्र में गोता लगाने चली गई।
वह कहती हैं कि उन्हें पता ही नहीं चला कि वह कब समुद्र में 30 फीट गहराई में पहुंच गईं। वह कहती हैं कि उन्हें पता ही नहीं चला कि वह कब समुद्र में 30 फीट गहराई में पहुंच गईं। आपको बता दें कि कल्पना इससे पहले आजादी का अमृत महोत्सव और मिशन चंद्रयान-3 के जश्न के तौर पर तिरंगे के साथ स्कूबा डाइविंग भी कर चुकी हैं।
उनके पिता कैप्टन हरीश सिंह मेहरा भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हैं जबकि उनकी मां हेमा मेहरा एक कुशल गृहिणी हैं। उनका कहना है कि उन्हें अपनी बेटी के इस कदम से काफी गर्व महसूस हो रहा है।