पर्यटकों के लिए खुलेगा उत्तराखंड का जादुंग गाँव, जानिए क्या है इस गाँव की रामायण से जुड़ी कहानी

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

उत्तरकाशी का दूरस्थ एवं दूरस्थ गांव जादूंग जल्द ही पर्यटन का केंद्र बनेगा। यह गांव चीन की सीमा से सटा हुआ है और भोटिया जनजाति का घर है। भविष्य में सरकार यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ाने की योजना बना रही है, जिससे स्थानीय लोगों की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। इस गांव के लोग खुद को जनक का वंशज मानते है इसलिए गांव में सबसे बड़ी झील का नाम पड़ा जनक ताल जहा से भागीरथी की सहायक जाह्नवी नदी निकलती है।

राजा जनक के वंशज है यह के समुदाय के लोग

केंद्र सरकार के वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम में शामिल जादुंग के पर्यटन विकास को देखते हुए इसे होम स्टे क्लस्टर के रूप में विकसित करने की योजना को बुधवार को हुई धामी कैबिनेट बैठक में हरी झंडी दे दी गई। जादुंग गांव चीन सीमा से सटा इलाका है, यह जिला मुख्यालय से 130 किलोमीटर दूर है। 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान इस गांव को खाली करा लिया गया था।

यह क्षेत्र नेलांग घाटी के अंतर्गत आता है जिसे उत्तराखंड के लद्दाख के रूप में जाना जाता है। तब से गांव के 56 परिवार डुंडा और बगोरी में रह रहे हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक उन्हें विस्थापित नहीं किया है। इस बीच केंद्र सरकार ने इस गांव को वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम में शामिल कर लिया है और इसे वाइब्रेंट बनाने के लिए कार्ययोजना तैयार की गई है।

उत्तराखंड कैबिनेट की बैठक में पर्यटन विभाग द्वारा जादूंग को पर्यटन विकास हेतु होम स्टे क्लस्टर के रूप में विकसित करने की योजना प्रस्तावित की गई। पहले आपको इस जगह पर जाने के लिए एसडीएम की अनुमति लेनी होगी। लेकिन अब इसके तहत वहां होम स्टे बनाने के लिए 100 फीसदी फंडिंग दी जाएगी। सरकार के इस फैसले से आने वाले दिनों में जादूंग में पर्यटकों के लिए आवास की कोई समस्या नहीं होगी।

उनके होम स्टे में रहने से स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा दिया जायेगा। चर्चा के बाद कैबिनेट ने इस योजना को संचालित करने की अनुमति दे दी। इसके साथ ही कैबिनेट ने जादूंग में होम स्टे को बढ़ावा देने के लिए तय मानकों में ढील देने की भी अनुमति दे दी है।