रंग ला रही उत्तराखंड में होमस्टे योजना, अब राज्य में होस्ट विलेज बन रहे है घोस्ट विलेज

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उत्तराखंड में पर्यटन एक ऐसा क्षेत्र है जिसे राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है।यही कारण है कि सरकार भी उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रही है।यह सब संभव हुआ है पहाड़ के होम स्टे योजना की ओर रुझान के कारण, जो अपने आप में स्वरोजगार का एक बेहतर विकल्प बन गया है।

होमस्टे में सिर्फ रुके नहीं बल्कि उठाए पहाड़ी जीवन का आनंद

आपको बता दें कि पिथौरागढ़ जिले की धारचूला तहसील के सरमोली गांव को भारत के सर्वश्रेष्ठ पर्यटक गांव के रूप में चुने जाने के बाद, पिथौरागढ़ जिले में यातायात काफी बढ़ गया है। जिसके चलते लोग होम स्टे को स्वरोजगार के साधन के रूप में उपयोग कर रहे हैं। आइए आपको बताते हैं कि इस होम स्टे योजना के जरिए लोग कैसे स्वरोजगार बन रहे हैं। पिथौरागढ के आठ विकास खण्डों में कुल लगभग 714 होमटेज़ हैं। पिथौरागढ़ जिले में सर्वाधिक 492 होम स्टे धारचूला विकासखण्ड में हैं।

यहां व्यास और दारमा घाटी में ग्रामीण होम स्टे से अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं। आय के साथ-साथ यहां के लोगों की संस्कृति और जीवनशैली को भी बढ़ावा मिल रहा है। धारचूला के बाद मुनस्यारी में लगभग 94 होम स्टे हैं। इसके साथ ही सर्प पालन के केंद्र बेरीनाग में 56, विण में 25, मूनाकोट में 20, गंगोलीहाट में 10, कनालीछीना में 14 और डीडीहाट में तीन होम स्टे बनाए गए हैं।

जानकारी के अनुसार वर्ष 2018-19 में उत्तराखंड के सभी जिलों में होम स्टे की कुल संख्या 965 थी, जो वर्तमान में बढ़कर लगभग चार हजार हो गई है। पर्यटन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अकेले दारमा घाटी में 335 होम स्टे बनाए गए हैं। नागलिंग घाटी में उनके कुल 50, बौन में 49 होम स्टे बनाये गये हैं। व्यास घाटी के सात गांवों में लगभग 88 होम स्टे हैं। चौदास घाटी में 56 और धारचूला देहात में 13 होम स्टे हैं। होमस्टे को स्थानीय लोगों के लिए स्वरोजगार का साधन बनाने के लिए पर्यटन विभाग द्वारा अनेक प्रयास किये जा रहे हैं।