अपने रंग में रंगी उत्तराखंड की खूबसूरत नीति घाटी, आप भी देखे बर्फ गिरने बाद के खूबसूरत वादियों के नज़ारे

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उत्तराखंड में अनगिनत खूबसूरत घाटियाँ हैं। प्रत्येक घाटी अपने तरीके से मनमोहक है और एक विशेष मौसम होता है जब प्रत्येक घाटी सुंदर दिखती है। वैसे तो मानसून में देहरादून खूबसूरत दिखता है लेकिन इस समय हम बात कर रहे हैं पहाड़ों की वादियों की। हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के सीमांत गांव नीती घाटी की जहां उत्तराखंड के सीमांत इलाकों में बर्फबारी के बाद खूबसूरत नजारे दिखाई दे रहे हैं।

नीति घाटी के लोगो ने सर्दियो के लिए छोड़ा अपना गाँव

आखिरकार यह घाटी अब बर्फ से ढक गई है और यह ताजा बर्फ चमोली स्थित नीति घाटी में गिरी है, जिससे पूरी घाटी सफेद चादर से ढक गई है। इस घाटी में हर तरफ बर्फ ही बर्फ नजर आ रही है जैसे किसी ने हर जगह नमक छिड़क दिया हो, लेकिन इस बर्फ ने इलाके में ठंड बढ़ा दी है। बर्फबारी के बाद सड़क, पुल और अन्य कार्यों में लगे मजदूर वापस लौटने लगे हैं। बीती रात मौसम में बदलाव के बाद नीती घाटी में बर्फबारी शुरू हो गई। सुबह जब लोग नींद से उठे तो बाहर बर्फ फैली हुई देखी।

आपको बता दें कि नीति घाटी में 14 गांव हैं और भोटिया जनजाति यहां की मूल निवासी है। नीति घाटी के नीति, गमशाली, बाम्पा, फरकिया गांव, गुरगुटी, मेहर गांव, कैलाशपुर, मलारी, कोशा, जेलम, जुम्मा, कागा, गारपाक, द्रोणागिरी आदि चौदह गांवों के ग्रामीण अक्टूबर में ही शीतकालीन छुट्टियां बिताने जा रहे हैं। सर्दियों के लिए निचली भूमि पर चले गए थे, हम आपको बताना चाहेंगे कि भोटिया एकमात्र जनजाति है जो अलग-अलग मौसम में एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवास करती है।

इस समय जब मूल निवासी पलायन कर चुके हैं तब भी मजदूर गांव में काम कर रहे हैं। यहां सेना के अलावा आईटीबीपी, बीआरओ के कर्मचारी लगातार काम कर रहे हैं। बीआरओ इन दिनों सीमा पर सड़क पुल निर्माण कार्य में जुटा हुआ है। इसके अलावा मलारी गांव में भी विकास कार्य चल रहा है। यहां करीब चालीस मजदूर हैं जो ठेकेदारों के यहां काम कर रहे हैं। यहां मलारी गांव के स्थानीय लोग भी मौजूद हैं।