मुख्यमंत्री धामी ने शुरु की गढ़वाल एवं कुमाऊं विश्वविद्यालय की स्वर्ण जयंती वर्ष पर स्वर्णिम अमृत संदेश रथ यात्रा

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राज्य में कई दिलचस्प काम कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने बुधवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित कैंप कार्यालय में एक विशेष कार्य किया। उन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल एवं कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल की स्थापना के स्वर्ण जयंती वर्ष पर आयोजित स्वर्णिम अमृत संदेश रथ यात्रा का स्मृति पौधा भेंट कर शुभारंभ किया।

विश्वविद्यालय में जाकर समझाएंगे पेड़ो का महत्व

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने यूकॉस्ट द्वारा आयोजित सम्मान एवं पौधा भेंट समारोह में विश्वविद्यालयों को बधाई देते हुए कहा कि किसी भी आयोजन को यादगार बनाने में वृक्षों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पेड़ जहां लाभकारी हैं और उन्हें बचाना बुनियादी जरूरत है, वहीं इसके साथ ही वे हमारी संस्कृति और स्मृति के प्रतीक भी हैं। उन्होंने कहा कि दोनों विश्वविद्यालय अपने स्वर्ण जयंती वर्ष को पर्यावरण-अनुकूल तरीके से मना रहे है।

एक विश्वविद्यालय को पचास पौधे उपहार में देने के बाद एक विश्वविद्यालय के सदस्य दूसरे विश्वविद्यालय में पहुंचेंगे और पचास पौधे लगाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले युवा बौद्धिक रूप से सजग और बुद्धिमान दोनों हैं।

ये लोगों तक संदेश पहुंचाने में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि इस संदेश यात्रा का मकसद लोगों को पर्यावरण के प्रति अपनी जीवनशैली में बदलाव लाने के लिए प्रेरित करना है।

यह यात्रा लोगों में अपनी संस्कृति, स्वच्छ परंपराओं, खान-पान और बोली के प्रति भी जागरूक करेगी। यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने बताया कि इस आयोजन के तहत मुख्यमंत्री का संदेश दोनों विश्वविद्यालयों के छात्रों तक पहुंचेगा। वह इस यात्रा को बहुआयामी और उद्देश्यों से परिपूर्ण बनाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे, यूकॉस्ट दोनों विश्वविद्यालयों में सेमिनार भी आयोजित कर रहा है।

पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन के लिए जीवनशैली पर विशेषज्ञों के व्याख्यान भी दिये जायेंगे। इतना ही नहीं बल्कि पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के लिए जीवनशैली पर विशेषज्ञों द्वारा दिए गए व्याख्यान भी दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि श्रीनगर गढ़वाल से नैनीताल के लिए रवाना होने वाला दल अपने साथ गंगा जल भी ले जाएगा जिसे नैनीताल में मां नैना देवी के दर्शन के बाद नैनीताल झील में प्रवाहित किया जाएगा. उत्तराखंड अमृत संदेश यात्रा के दौरान दोनों विश्वविद्यालय एक-दूसरे को अपने कुछ महत्वपूर्ण प्रकाशनों की पुस्तकें भी उपहार में देंगे।