उत्तराखंड के चमोली जिले का डुमक गांव इन दिनों सरकार की अनदेखी और वादाखिलाफी के खिलाफ आवाज उठा रहा है। गांव के लोग पिछले 105 दिनों से धरने पर बैठे हैं, लेकिन उनकी समस्याओं का कोई समाधान नहीं हुआ। लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर लड़ाई लड़ रहे इन ग्रामीणों का अब सब्र टूटने लगा है, और उन्होंने उग्र प्रदर्शन की चेतावनी दी है।
क्या हैं डुमक गांव के रहवासियों की समस्याएं?
डुमक गांव चमोली जिले का एक दुर्गम क्षेत्र है, जहां बुनियादी सुविधाओं की कमी लोगों के जीवन को कठिन बना रही है।
- सड़क संपर्क की कमी: गांव में अब तक सड़क नहीं पहुंची है, जिससे ग्रामीणों को शहर तक पहुंचने में घंटों पैदल सफर करना पड़ता है।
- बिजली और पानी की समस्या: गांव में बिजली और साफ पेयजल की पर्याप्त आपूर्ति नहीं है।
- स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव: निकटतम स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों को कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है।
सरकारी वादाखिलाफी और बढ़ता आक्रोश
डुमक गांव के लोगों का कहना है कि सरकार ने विकास योजनाओं का वादा किया था, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हुआ।
- फर्जी आश्वासन: सरकार द्वारा बार-बार विकास कार्य शुरू करने के वादे किए गए, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
- धरने पर बैठे ग्रामीण: ग्रामीण 105 दिनों से शांतिपूर्ण धरने पर हैं, लेकिन प्रशासन ने उनकी समस्याओं को नजरअंदाज किया है।
अब करेंगे उग्र प्रदर्शन
गांववासियों का कहना है कि सरकार की चुप्पी ने उन्हें मजबूर कर दिया है।
- सड़क जाम की चेतावनी: ग्रामीणों ने प्रमुख मार्गों पर जाम लगाने और बड़े पैमाने पर आंदोलन करने का फैसला किया है।
- सरकारी दफ्तरों का घेराव: अपनी मांगों को लेकर वे जिला मुख्यालय का घेराव करने की योजना बना रहे हैं।
ग्रामीणों की मांगें
- गांव तक सड़क निर्माण का कार्य तुरंत शुरू किया जाए।
- बिजली और पानी की समस्या को प्राथमिकता पर हल किया जाए।
- स्वास्थ्य सेवाओं के लिए गांव में एक प्राथमिक चिकित्सा केंद्र स्थापित किया जाए।
डुमक गांव के निवासियों का कहना है कि उनकी लड़ाई केवल विकास और बुनियादी सुविधाओं के लिए है। यदि सरकार ने उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया, तो उनका आंदोलन और तेज होगा। यह आंदोलन एक बार फिर सवाल खड़ा करता है कि क्या दुर्गम क्षेत्रों के विकास के लिए दी जाने वाली सरकारी योजनाएं सिर्फ कागजों तक सीमित हैं?