उत्तराखंड के युवाओं की तरह एक ऑटो ड्राइवर के बेटे ने पास करी ISRO की प्रतियोगिता, अब बैंगलोर में मिलेगा प्रशिक्षण

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

हमारे देश भारत में करोड़ों देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। उत्तराख्खंड को देवताओं की भूमि कहा जाता है और यहां के लोग आशीर्वाद की अधिक तलाश करते हैं और उनमें उतना ही विश्वास करते हैं। कल्पना कीजिए कि जब आप भगवान की मूर्ति को देखेंगे, सिर झुकाएंगे और फिर आंखें बंद करेंगे तो आपको कैसा महसूस होगा। मुझे वही छवि दिख रही है।

ISRO की युविका प्रतियोगिता से मिला कई बच्चों को मौका

लेकिन सोचिए यह बात कितनी सच लगती है जब सड़क पर चलते ऑटो ड्राइवर का बेटा देश के सबसे बड़े अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान इसरो की परीक्षा पास करता है और इसरो में प्रशिक्षण के लिए चुना जाता है? अगर ध्यान से समझा जाए तो इन दोनों उदाहरणों में कोई अंतर नहीं है. आज हम आपको सुपौल के छात्र दुर्गेश कुमार की ऐसी ही एक सफलता के बारे में बताएंगे। बिहार के मिथिला जिले के रहने वाले दुर्गेश भी उत्तराखंड के छात्रों की तरह 9वीं कक्षा के एक सामान्य छात्र हैं।

दुर्गेश ने इसरो द्वारा आयोजित यंग साइंटिस्ट प्रोग्राम (युविका) परीक्षा उत्तीर्ण कर अपने माता-पिता और क्षेत्र को खुशी और आश्चर्य से गदगद कर दिया है। दुर्गेश के पिता राजकुमार चौधरी दिल्ली में ऑटो चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। वह खुद ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं, लेकिन वह अपने बेटे को खूब पढ़ाना चाहते हैं और चाहते हैं कि बेटा रिक्शा चालक नहीं बल्कि एक बड़ा आदमी बने।

उन्होंने सोचा भी नहीं था कि उनका बेटा उम्मीदों को आसमान से आगे चांद तक ले जा सकता है। दुर्गेश ने इसरो की इस परीक्षा में ऑल इंडिया 252वां स्थान हासिल किया है। दुर्गेश की मां सरिता देवी बताती हैं कि जब हाई स्कूल के शिक्षक जीतेंद्र कुमार ने उन्हें इसरो और इस परीक्षा के बारे में बताया तो उन्होंने भी दुर्गेश को इस परीक्षा के लिए प्रेरित किया. दुर्गेश पढ़ाई में बहुत अच्छा छात्र था और उसकी पढ़ाई पर अच्छी पकड़ थी। दुर्गेश ने बताया कि उन्हें 12 से 24 मई के बीच बेंगलुरु के यूआर राव सैटेलाइट सेंटर में विशेष प्रशिक्षण के लिए बुलाया गया है।