पहाड़ की बहु ने पहाड़ी कला को दिया एक नया मुकाम, हल्द्वानी कि आकांक्षा बिष्ट पढ़ाई के साथ बना रही है पहाड़ी कला को लोकप्रिय

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आज उत्तराखंड की बेटियां अपनी बहुमुखी प्रतिभा से हर क्षेत्र में छा रही हैं। आज यहां की बेटियों ने हर क्षेत्र में अपनी काबिलियत का परचम लहराकर उत्तराखंड का नाम रोशन किया है। इस बार उत्तराखंड की कला के क्षेत्र ऐपण कला या चित्रकला कला में उत्तराखंड की बेटियां अपनी कला के माध्यम से उत्तराखंड की संस्कृति की छवि को उजागर करने का काम कर रही हैं।

मुल्तः मुक्तेश्वर की रहने वाली है आकांक्षा

हम आपको एक ऐसी होनहार बेटी से मिलवाने जा रहे हैं जिसने अपनी कला के जरिए उत्तराखंड की संस्कृति को उजागर किया है। हम बात कर रहे हैं मुक्तेश्वर के प्यूड़ा की रहने वाली आकांक्षा बिष्ट की, उन्होंने कुमाऊं की पारंपरिक कला को अपनी ऐपण कला के हुनर ​​से संवारा है। फिलहाल हलद्वानी से पढ़ाई कर रही हूं। आकांशा बिष्ट अपनी पढ़ाई के साथ-साथ कला को बढ़ावा देने के लिए भी काम कर रही हैं।

आकांशा युवाओं और महिलाओं को इस ऐपण कला के महत्व को समझने के लिए भी प्रेरित कर रही हैं। आकांक्षा इस कला के जरिए स्वरोजगार की राह अपना रही हैं।

आपको बता दें कि आकांशा नेमप्लेट, लैंप, कोस्टर, पूजा थाल आदि पेंटिंग करके अपने ऐपण डिजाइन बनाती हैं। ज्यादातर लोग तेजी से पहाड़ों से पलायन कर शहरों में बस रहे हैं। ऐसे में कुमाऊं की धार्मिक महत्व की इस शानदार विरासत और शिल्पकला को बचाने और पुनर्जीवित करने के लिए पहाड़ की बहन आकांक्षा बिष्ट कड़ी मेहनत कर रही हैं.