उत्तराखंड के सुपरकाॅप पर प्रधानमंत्री मोदी ने फिर दिखाया भरोसा, अजित डोभाल तीसरी बार बने देश के NSA

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केंद्र सरकार से एक बड़ी खबर आ रही है जो पूरे उत्तराखंड को गौरवान्वित करेगी। जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीसरी बार ताजपोशी के बाद अजीत डोभाल को लगातार तीसरी बार देश का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) भी नियुक्त किया गया है. आपको बता दें कि 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी अजीत डोभाल मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के बनेल्स्यूं पट्टी स्थित घीड़ी गांव के रहने वाले हैं। एनएसए के तौर पर उन्हें पहली बार ये जिम्मेदारी 2014 में नरेंद्र मोदी की पहली ताजपोशी के बाद मिली थी. इसके बाद से वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद व्यक्ति बन गये।

1968 बैच के आईपीएस अधिकारी अजीत डोभाल

यही कारण है कि सुरक्षा नीति के चाणक्य के नाम से मशहूर अजीत डोभाल को पीएम मोदी की आंख और कान भी कहा जाता है। आपको बता दें कि एनएसए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का प्रमुख होता है। जिसका काम देश के प्रधानमंत्री को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सलाह देना है। यह पोस्ट साल 1998 में की गई थी, तब से इस पद पर 5 लोग तैनात हैं।

उनके पहले दो कार्यकाल की बात करें तो चाहे धारा 370 का मुद्दा हो, सर्जिकल स्ट्राइक, डोकलाम या कोई अन्य कूटनीतिक फैसले, डोभाल हमेशा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसे पर खरे उतरे हैं। वह आईबी प्रमुख के तौर पर भी काम कर चुके हैं. तेज तर्रार अधिकारी माने जाने वाले अजीत डोभाल साल 1972 में इंटेलिजेंस ब्यूरो में शामिल हुए थे। उनकी क्षमता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अपनी 46 साल की सेवा के दौरान उन्होंने केवल 7 साल तक पुलिस की वर्दी पहनी थी।

मिजोरम या पंजाब समेत नॉर्थ ईस्ट हो या फिर पड़ोसी देश में रहकर खुफिया अधिकारी के तौर पर देश के लिए सूचनाएं जुटाना, हर चीज में डोभाल ने अहम भूमिका निभाई है। यही कारण है कि उन्हें कूटनीतिक सोच और आतंकवाद से लड़ने का विशेषज्ञ माना जाता है। उन्हें 1988 में कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया, जो आमतौर पर सशस्त्र बलों को वीरता के लिए दिया जाने वाला पदक है।

आपको बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान कंधार हाईजैक मामले में सभी यात्रियों को सुरक्षित वापस लाने में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. आतंकी संगठन आईएसआईएस ने इराक में 46 भारतीय नर्सों को बंधक बना लिया था. फिर उन्हें वापस लाने की पूरी स्क्रिप्ट भी अजीत डोभाल ने ही लिखी थी. एनएसए अजीत डोभाल को पिछले साल पंतनगर विश्वविद्यालय ने मानद उपाधि से सम्मानित किया था। उनका उत्तराखंड प्रेम भी किसी से छिपा नहीं है। वह हर साल अपनी कुलदेवी मां बाल कुंवारी देवी की पूजा करने के लिए अपने पैतृक गांव घीड़ी आते हैं।