बागेश्वर की लक्ष्मी मलड़ा ने पत्रकारिता में P.hd कर माता-पिता को किया नमन, कुमाऊँ विश्विद्यालय के दीक्षांत समारोह में जीता गोल्ड मेडल

अधिकांश समय व्यक्तिगत सफलताओं की रोशनी ही समाज को रोशन करने में बड़ी भूमिका निभाती है। देवभूमि के युवाओं में कुछ अलग करने और समाज को अपनी सेवाएं देने की चाहत उन्हें दूसरों से अलग बनाती है। आज के आर्टिकल में हम बात कर रहे हैं बागेश्वर की लक्ष्मी मालदा की, जिन्होंने इसी जोश और जुनून के साथ आगे बढ़ते हुए एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है।

दिल्ली में रहकर कई NGO के साथ कर चुकी है काम

हाल ही में अमर उजाला के संस्थापक स्व. मुरारी लाल महेश्वरी की स्मृति में कुमाऊं विश्वविद्यालय का 18वां दीक्षांत समारोह शुक्रवार को आयोजित किया गया। सूची में शामिल लक्ष्मी ने डीएसबी परिसर स्थित अटल पत्रकारिता एवं जनसंपर्क विभाग से परास्नातक किया, उन्हें भी स्वर्ण पदक मिला। मंडलसेरा बागेश्वर की मूल निवासी लक्ष्मी मलड़ा को वर्ष 2022-23 में टॉप करने पर गोल्ड मेडल दिया गया है। उन्होंने 79.29 फीसदी अंक हासिल किए थे।

आपको बता दें कि लक्ष्मी ने 10वीं तक की शिक्षा केंद्रीय विद्यालय, बागेश्वर से प्राप्त की और हाईस्कूल में 10 सीजीपीए हासिल किया। इसके बाद उन्होंने लेक्स इंटरनेशनल स्कूल, भीमताल से पढ़ाई की और इंटरमीडिएट में कॉमर्स से 90.2 प्रतिशत अंक हासिल किए। इंटरमीडिएट के बाद उन्होंने पत्रकारिता का क्षेत्र चुना। अकादमिक रूप से उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन ने लक्ष्मी को दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित भारती कॉलेज में प्रवेश दिलाने में मदद की।

लक्ष्मी ने डीएसबी कैंपस से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। फिलहाल वह गांधी फेलोशिप के तहत राजस्थान में स्कूली बच्चों के बौद्धिक और मानसिक विकास पर काम कर रही हैं। पीरामल फाउंडेशन के पीरामल स्कूल ऑफ लीडरशिप के तहत “चिल्ड्रन विद स्पेशल नीड्स” प्रोजेक्ट पर काम कर रहीं लक्ष्मी ने कहा कि उनका ध्यान हमेशा समाज सेवा पर रहा है। लक्ष्मी ने यह भी कहा कि वह ग्रेजुएशन के बाद से ही सामाजिक क्षेत्र में काम कर रही हैं।

लक्ष्मी ने बताया कि उन्होंने कॉलेज के बाद से ही कई एनजीओ में काम किया। दिल्ली के जीबी रोड पर यौनकर्मियों के लिए “कट कथा” नामक एनजीओ के साथ काम करने के अलावा, उन्होंने नई दिल्ली में “फ्राइडेज़ फॉर फ्यूचर” के साथ भी काम किया, जो जलवायु परिवर्तन पर काम करने के लिए जाना जाता है। इसके अलावा, लक्ष्मी ने नैनीताल में “माउंटेन विलेज फाउंडेशन” का भी समर्थन किया, जो महिलाओं और बच्चों के उद्यमिता कौशल पर काम करता है। इसके अलावा उन्हें थिएटर का भी शौक है।

नैनीताल में रहते हुए लक्ष्मी ने मोहन राकेश द्वारा लिखित नाटक “लहरों के राजहंस” में नाटककार के रूप में काम किया। बाद में उन्होंने यही नाटक अपनी टीम के साथ नैनीताल के साथ-साथ उदयपुर और मुंबई में भी प्रस्तुत किया। लक्ष्मी के पिता चरण सिंह मालड़ा पूर्व सैन्यकर्मी हैं। उनकी मां चंद्रा देवी एक गृहिणी हैं।

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