दशरथ मांझी के नाम से कौन नहीं वाकिफ है… दशरथ मांझी, जिन्हें “माउंटेन मैन” के नाम से भी जाना जाता है, बिहार के गया के पास गेहलौर गांव के एक गरीब मजदूर थे, जिन्होंने उचित सड़क नहीं होने के कारण अपने प्रिय को खो दिया था। मिलिए उत्तराखंड के दशरथ मांझी, उन्होंने केवल एक हथौड़ी और एक छेनी के साथ अकेले ही 360 फुट लंबी सड़क का निर्माण किया। 30 फुट चौड़े और 25 फुट ऊंचे पहाड़ को काटकर उन्होंने एक सड़क बनाई। ताकि, किसी अन्य व्यक्ति को उसके जैसे नुकसान से न गुजरना पड़े।
पहली बार गांव में गाड़ी पहुंची तो खिल उठे सभी के चेहरे
इस काम को पूरा करने में उन्हें डेढ़ महीने का समय लगा। लेकिन आज हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के दशरथ मांझी की। बिल्कुल बिहार के मांझी की तरह, जिन्होंने अपने गांव गेहलौर तक सड़क पहुंचाने के लिए पहाड़ काट दिया। उत्तरकाशी के गबर सिंह ने भी ऐसा किया है। उन्होंने अपने दम पर बिना जेसीबी के दो किलोमीटर पहाड़ काटकर अपने फुवान गांव तक सड़क बना दी है। उन्होंने यह काम महज डेढ़ महीने में पूरा कर लिया है।
गांव के लोगों का कहना है कि चुनाव खत्म होते ही वोट मांगने आने वाले नेता भी अपने वादे भूल जाते हैं। हर गांव तक सड़क पहुंचाने की बात तो सभी करते हैं लेकिन हकीकत में ये सारी बातें खोखली हैं। राज्य गठन के दो दशक बाद भी उत्तरकाशी के फुवाण गांव में सड़क नहीं बन सकी। लोगों को गांव तक पहुंचने के लिए दो किलोमीटर की पैदल चढ़ाई करनी पड़ती थी।
विकास खंड के फुवां गांव के करीब 45 परिवार लंबे समय से गांव को सड़क से जोड़ने की मांग कर रहे थे, लेकिन उनकी मांग ठंडी बस्ता में जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि जब कोई व्यक्ति बीमार पड़ जाता था तो लोग उसे घोड़े, खच्चर और गाड़ी की मदद से सड़क तक पहुंचाते थे। जन प्रतिनिधियों के धोखे से परेशान होकर गांव के 38 वर्षीय युवा गबर सिंह रावत ने अपने बलबूते पर गांव तक सड़क पहुंचाने का संकल्प लिया. गबर सिंह ने बिना किसी की मदद के अकेले ही दो किलोमीटर पहाड़ काट डाला। ताकि ग्रामीणों के लिए सड़क पक्की हो सके।