रेता ढोने वाले के बेटे अंकित कुमार ने सिर्फ पिता ही नही उत्तराखंड का भी नाम किया रोशन, दौड़ में राज्य को दिलाया सोना

ऐसा कहा जाता है कि मेहनत उस व्यक्ति का साथ कभी नहीं छोड़ती जो उस पर कायम रहता है। हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के राठ क्षेत्र के बनास पैठाणी निवासी अंकित कुमार के बारे में, इस लड़के ने कुछ ऐसा कमाल किया है जिस पर उसे गर्व है, इसने नेशनल में एथलेटिक्स स्पर्धा में उत्तराखंड के लिए तीसरा स्वर्ण पदक जीतने में सफलता हासिल की है। समयानुसार खेल 29 मिनट 51 सेकंड।

अंकित का है सेना में जाने का सपना

उससे भी ज्यादा, उन्होंने अपने पिता को गौरवान्वित किया। उनके पिता जो उनका भोजन बनाने के लिए दिन-रात काम करते थे। यह उनके लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। अंकित कुमार ने 5वीं कक्षा तक बनास स्कूल में पढ़ाई की। उसके बाद अंकित ने 12वीं तक की पढ़ाई राजकीय इंटर कॉलेज हिंवालीधार से की। उसके बाद अंकित कुमार ने कई बार खेलों में भाग लिया और प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त किया। अंकित ने साबित कर दिया कि कड़ी मेहनत ही सफलता की कुंजी है।

अंकित के पिता घोड़े और खच्चर से रेत ढोकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। अंकित के पिता ध्यानी लाल ने बताया कि अंकित का बचपन से ही भारतीय सेना में शामिल होने का सपना है, जिसके लिए वह रोज सुबह उठकर दस से पंद्रह किलोमीटर दौड़ता था। उन्होंने भारतीय सेना की लैंसडाउन भर्ती में भी भाग लिया, लेकिन अंकित लिखित परीक्षा में असफल हो गये, तमाम असफलता के बावजूद अंकित ने अपना हौसला बरकरार रखा।

हालाँकि अंकित ने दौड़ में प्रथम स्थान प्राप्त किया, लेकिन उनका जीवन संघर्ष से भरा है, अंकित की पारिवारिक स्थिति अच्छी नहीं है। अंकित के पिता ने बताया कि वह घोड़े-खच्चर से रेत ढोकर परिवार का भरण-पोषण करते हैं। बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, उनकी आजीविका का एकमात्र साधन घोड़ा-खच्चर संचालन है। कहा कि अंकित ने अपनी मेहनत और लगन से यह मुकाम हासिल किया है।

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