उत्तराखंड की छोटी सी लड़की की कविताओं को पढ़कर लोग हुए भावुक, अल्मोड़ा की गीता खाती ने पहाड़ी परेशानी पर लिखे दो काव्य

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कविताएँ व्यक्ति की भावनाओं को व्यक्त करने का सबसे सशक्त माध्यम हैं। कविताओं और लेखन के रचनात्मक तरीके के माध्यम से कोई भी अपनी कल्पना शक्ति दिखा सकता है, एक कवि अपने विचारों और भावनाओं को पाठकों तक पहुंचाने में सफल होता है। उत्तराखंड ने कई जाने-माने लेखक दिए हैं और अब उत्तराखंड की युवा पीढ़ी भी हिंदी साहित्य की कविता के क्षेत्र में कदम बढ़ा रही है। आज हम आपको प्रदेश की एक और ऐसी होनहार बेटी से मिलवाने जा रहे हैं जो देशभक्ति के अपने भावों को कविताओं के माध्यम से पाठकों तक पहुंचा रही है।

समाज की कई कुरीतियों को किताब में किया उजागर

हम बात कर रहे हैं राज्य के अल्मोडा जिले के रानीखेत तहसील क्षेत्र के ताड़ीखेत ब्लॉक के ताना रैली गांव की रहने वाली युवा गीता खाती के बारे में, उन्होंने ‘मेरे मन की भावनाएँ’ कविता संग्रह लिखा था जिसे हाल ही में हमरूह प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया था। अनुभव और जिज्ञासा केवी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किए जाते हैं। आपको बता दें कि उनके इस काव्य संग्रह में आपको देशभक्ति, संस्कृति, मां, समाज, जीवन, समय आदि पर कविताएं पढ़ने को मिलेंगी। इन्हें पढ़कर आपके अंदर देशभक्ति की भावना अपने आप जागृत हो जाएगी।

गीता ने बताया कि वह बेहद सामान्य परिवार से हैं। उनकी मां शांति देवी और पिता चंदन सिंह दोनों किसान हैं और उनकी आय का मुख्य स्रोत खाती गांव में ही खेती है। अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव में ही स्थित प्राथमिक विद्यालय टाना रैली से प्राप्त करने वाली गीता ने राजकीय इंटर कॉलेज बंगोरा से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वह पढ़ाई के साथ-साथ काम भी करती है।

आपको बता दें कि महज 18 साल की उम्र में लेखन के क्षेत्र में कदम रखने वाली गीता के अब तक दो कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। गीता का कहना है कि वह अपनी कविताओं के माध्यम से हिंदी भाषा और उसकी क्षेत्रीय बोली को बढ़ावा देना चाहती हैं और साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में भी योगदान देना चाहती हैं।