बाबा नीम करौली के जन्मदिवस पर लग रहा है कैंची धाम में भव्य मेला, यह पढ़िए बाबा का वो मंत्र जिसे होती है मनोकामनाएं पूरी

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

देवभूमि उत्तराखंड को ऐसे ही चमत्कारों की भूमि नहीं कहा जाता है, यहां कई देवी-देवताओं द्वारा किए गए चमत्कारों को भक्तों ने स्वयं महसूस किया है, लेकिन इसके साथ ही यहां कई महान संत भी हुए हैं जिन्होंने अपने अविश्वसनीय चमत्कारों से अपने भक्तों को आशीर्वाद दिया है। ऐसा कहा जाता है कि इस संत का आशीर्वाद ही बड़े काम बनाने के लिए काफी है। हम बात कर रहे हैं चमत्कारी संत बाबा नीम करौली की। बहुत से लोग पति भक्त हैं और वे दूर-दूर से इस संत के मंदिर में आते हैं। यहां तक ​​कि एप्पल के सीईओ स्टीव जॉब्स और फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग भी उनके बड़े भक्त हैं। आज हम आपको नीम करौली बाबा का मंत्र बताने जा रहे हैं, जिससे भक्तों की हर मनोकामना आसानी से पूरी हो जाती है।

“मैं हूं बुद्धि मलीन अति श्रद्धा भक्ति विहीन। करू विनय कछु आपकी, होउ सब ही विधि दिन। कृपा सिंधु गुरूदेव प्रभु। करि लीजे स्वीकार, मैं हूँ बुद्धि मलीन अति, श्रद्धा भक्ति विहीन। करू विनय कछु आपकी, होउ सब ही विधि दीन।”

आज से लगेगा कैंची धाम में मेला देश नहीं विदेश से भी आयेंगे पर्यटक

नीम करौली बाबा के जन्मदिन के अवसर पर हर साल एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें लाखों भक्त आशीर्वाद लेने आते हैं। इस पर हलवा जैसा विशेष प्रसाद बनाया जाता है और फल, मिठाई आदि चढ़ाया जाता है लेकिन इसके साथ ही बाबा को कंबल भी चढ़ाया जाता है। ये परंपरा काफी समय से चली आ रही है. कहा जाता है कि एक बार बाबा फतेहगढ़ के एक बुजुर्ग दंपत्ति के घर गए जहां उन्होंने रुकने का फैसला किया, जिसे सुनकर दंपत्ति बहुत खुश हुए लेकिन सोचने लगे कि हम गरीब लोग बाबा का स्वागत कैसे करेंगे। उन्होंने अपनी क्षमता के अनुसार बाबा का आदर-सत्कार किया और उन्हें सोने के लिए एक खाट और ओढ़ने के लिए एक कम्बल दिया और दोनों दम्पति ठंड से कराह रहे थे।

उस जोड़े की रात बहुत कठिन गुजरी। सुबह जब वे उठे तो बाबा ने कंबल लपेटकर दम्पति को दे दिया और कहा कि इसे बिना खोले गंगा नदी में प्रवाहित कर देना। जैसे ही दम्पति कम्बल तैराने जा रहा था तभी अचानक कम्बल का वजन बढ़ने लगा लेकिन बाबा ने कम्बल न खोलने को कहा जिसके कारण दम्पति ने कम्बल गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया। एक महीने बाद दम्पति का इकलौता बेटा घर आया जो ब्रिटिश सेना में सिपाही था और विश्व युद्ध के दौरान लड़ रहा था, जिससे दम्पति बहुत चिंतित थे।

जब वह सुरक्षित घर लौटा तो उसके माता-पिता उसे देखकर बहुत खुश हुए। बेटे ने बताया कि करीब एक महीने पहले उनके सभी साथी युद्ध में मारे गए थे और वह अकेले जीवित बचे थे जिन्हें दुश्मनों की एक गोली भी नहीं लगी थी। तभी दंपत्ति को याद आया कि एक महीने पहले नीम करोली बाबा उनके घर पर रुके थे और उन्हें समझ आया कि बाबा के चमत्कार के कारण ही उनका बेटा आज सुरक्षित घर लौट आया है, जिसके कारण कहा जाता है कि बाबा के भक्त उसे कंबल चढ़ाते हैं।

बताया जा रहा है कि नीम करोली बाबा भगवान हनुमान के बहुत बड़े भक्त थे जिसके कारण उन्हें भगवान हनुमान का अवतार माना जाता था। बाबा ने कहा कि जो व्यक्ति प्रतिदिन हनुमान जी की पूजा करता है, उसकी सभी परेशानियां अपने आप दूर हो जाती हैं और इतना ही नहीं, हनुमान जी की पूजा करने से जीवन में आने वाली सभी कठिन परिस्थितियों से भी छुटकारा मिल जाता है, इसलिए हर व्यक्ति को रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। नीब करौरी बाबा ने 17 साल की उम्र में ही भगवान हनुमान के बारे में काफी ज्ञान प्राप्त कर लिया था, जिसके चलते उन्होंने कम से कम 108 हनुमान मंदिर बनवाए थे।