हिंदी लेखन बहुत सार्वभौमिक है। हिंदी कविता जगत में एक बहुत पुरानी कहावत है। ‘कवि वहां पहुंचता है जहां सूरज नहीं पहुंच पाता’, यानी कि सूरज की रोशनी भले ही हर जगह नहीं पहुंचती हो, कवि का मन दुनिया की हर उस दिशा में पहुंच जाता है, जहां की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। वह अपनी रचनाओं और कल्पनाओं को कविता का रूप देकर न केवल दुनिया की हर चीज को छूने में सक्षम हैं बल्कि अपनी भावनाओं को पाठकों के दिल और दिमाग तक पहुंचाने में भी सफल होते हैं। आज हम आपको उत्तराखंड की एक और ऐसी प्रतिभाशाली बेटी से मिलवाने जा रहे हैं जो हिंदी काव्य जगत में अपनी कविताओं का जलवा बिखेर रही हैं।
इन्टरनेट पर खूब बिक रही प्रियंका की क्षणिकायन
हम बात कर रहे हैं राज्य के पौढ़ी गढ़वाल जिले के धुमाकोट तहसील क्षेत्र के नैनीडांडा विकासखंड के कोचियार गांव की रहने वाली युवा प्रियंका बिष्ट की, वह अपनी भावनाओं को कविताओं के माध्यम से पाठकों तक पहुंचा रही हैं. सबसे खास बात यह है कि लोग उनकी कृतियों को अमेज़न, फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स वेबसाइटों के जरिए ऑनलाइन भी खरीद रहे हैं।
जिसमें उन्होंने उनकी ख़राब पारिवारिक परिस्थितियों और उनके पड़ोस के स्पंदित, विविध, संघर्षशील मानव जीवन की मार्मिकता को कविताओं के रूप में व्यक्त किया है। प्रियंका अपनी अभूतपूर्व उपलब्धि का श्रेय अपने पिता आनंद सिंह बिष्ट और माता कलावती बिष्ट को देते हुए कहती हैं कि उन्होंने बीएससी नर्सिंग की डिग्री प्राप्त की है।
बहुमुखी प्रतिभा की धनी प्रियंका न सिर्फ कविताएं लिखने में माहिर हैं बल्कि एक कुशल एथलीट भी हैं। उनकी किताब क्षणिकायन हाल ही में प्रकाशित हुआ है।
यही कारण है कि उन्हें अपने स्कूल के दिनों से ही कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है और उन्होंने अब तक कई पुरस्कार जीते हैं। इनमें नेहरू युवा महोत्सव (कविता)-(तृतीय), राष्ट्रीय सेवा योजना-ए, बी,सी प्रमाणपत्र (प्रथम), भारत स्काउट गाइड-राज्यपाल पुरस्कार, खेल प्रतियोगिता (दौड़)-प्रथम (जिला स्तर), राष्ट्रीय कविता प्रतियोगिता- शामिल हैं। (द्वितीय), स्टूडेंट नर्स एसोसिएशन (कविता)-द्वितीय, बुलंदी सेवा समिति (कविता)- देवनागरी सम्मान, साहित्य गौरव सम्मान, राष्ट्रीय सम्मान पुरस्कार, घुघुती महोत्सव (मिजाज़) प्रथम आदि शामिल हैं। उनकी ये कविताएं उनके अपने इंस्टाग्राम पेज priyanka_poetry 30 पर भी सुनी जा सकती हैं