उत्तराखंड के नैना देवी मंदिर उठाया बड़ा कदम, अब मंदिर के प्रांगण में रील बनाने वालों का रील और कैमरा होगा ज़ब्त

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उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यहां के हर कोने में देवी-देवताओं का वास है जिनके प्रति कुछ लोगों की सच्ची श्रद्धा और आस्था है, लेकिन साथ ही यहां कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सिर्फ सोशल मीडिया पर मशहूर होने की कोशिश करते हैं। और उन्होंने सामाजिकता के नाम पर रीलें बनाईं। वे मंदिरों में अश्लील वीडियो बनाकर लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा रहे हैं।

मंदिर में रील बनाने वालो को मंदिर समिति ने सिखाया सबक

ऐसा ही एक मामला नैनीताल जिले के नैना देवी मंदिर का भी है, जहां एक महिला अश्लील तरीके से फिल्मी गानों पर रील बनाती नजर आई, जिसके चलते नैना देवी मंदिर के अमर उदय ट्रस्ट के सदस्यों ने रील मंदिर परिसर में रील बनाने का कड़ा विरोध किया। वीडियो बनाने वाले लोगों को चेतावनी दी गई है।

आपको बता दें कि अब कोई भी श्रद्धालु नैनीताल जिले के नैना देवी मंदिर में जाकर रील नहीं बना सकता है, इसके लिए प्रशासन ने सख्त निर्देश दिए हैं. इतना ही नहीं, नैना देवी मंदिर, नैनीताल के अमर उदय ट्रस्ट ने नैना देवी मंदिर में आने वाले सभी भक्तों से अनुरोध किया है कि वे इस पवित्र भूमि पर मर्यादा बनाए रखते हुए और सभ्य कपड़े पहनकर ही मंदिर में प्रवेश करें। इसके साथ ही श्रद्धालुओं द्वारा अनावश्यक शोर-शराबा करना एवं किसी भी प्रकार का रील वीडियो बनाना पूर्णतः प्रतिबंधित है।

यदि कोई वीडियो बनाते हुए पाया गया तो उसका मोबाइल कैमरा जब्त कर लिया जाएगा और उसके खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि आजकल लोगों पर मीडिया पर मशहूर होने के लिए रील वीडियो बनाने का इतना जुनून सवार हो गया है कि वह मंदिर जैसे पवित्र स्थानों पर भी अशोभनीय तरीके से वीडियो बनाकर लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा रहे हैं।

नैना देवी मंदिर उत्तराखंड के नैनीताल जिले में नैनी झील के उत्तरी तट पर स्थित है और देवी नैना को समर्पित है। यह हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल माना जाता है, इसके बाद यहां साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है। मंदिर का नाम देवी “नैना” (नेत्र) पर आधारित है, जो देवी पार्वती का एक रूप हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, यह वही स्थान है जहां भगवान शिव तांडव करते समय देवी सती (नैना) की आंखें गिरी थीं। इसीलिए इस स्थान को शक्तिपीठ भी माना जाता है।