केदारनाथ के प्रसिद्घ परम शैव श्री मृत्युंजय हिरेमठ ने ली अपनी आखिरी सास, उनकी मधुर आवाज के है सब दिवाने

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आज सुबह रुद्रप्रयाग जिले से एक बेहद दुखद खबर आई जहां केदारनाथ के प्रसिद्ध पुजारी वेदपाठी परम शैव श्री मृत्युंजय हीरेमठ का सुबह निधन हो गया। उनके मंत्र केदारनाथ धाम में भी सदैव गूंजते रहेंगे। युवा वेदपाठी परम शैव श्री मृत्युंजय हिरेमठ की मधुर आवाज केदारघाटी के साथ ही देश-विदेश में लाखों महादेव भक्तों के बीच प्रसिद्ध है।

35 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से मौत

युवा वेदपाठी परम शैव श्री मृत्युंजय हिरेमठ, रावल 108 श्री गुरु लिंग जी महाराज के चार पुत्रों में सबसे छोटे थे। देश-विदेश में बाबा केदारनाथ के भक्त मृत्युंजय को उनके मधुर मंत्रों और आरती से पहचानते हैं। मृत्युंजय हिरेमथ का उनके घर पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।

महादेव के पांचवें ज्योतिर्लिंग श्री केदारनाथ धाम के वेदपाठी मृत्युंजय हिरेमठ की 35 वर्ष की अल्पायु में दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु की खबर आई, जिसके बाद पूरी केदार घाटी में हर कोई सदमे में है। बालसखा मृत्युंजय का बचपन गुप्तकाशी में बीता। बचपन से ही गुप्तकाशी विश्वनाथ मंदिर परिसर मृत्युंजय के कंठ से निकलने वाले मधुर भजनों से गूंजता रहता था।

2 साल पहले उन्होंने केदारनाथ मंदिर परिसर में सौराष्ट्रदेशे विषदेयतिर्मय गाया था। श्री गुरु लिंग जी महाराज के चार पुत्रों में सबसे छोटे रावल 108 ऊखीमठ निवासी मृत्युंजय हिरेमठ केदारनाथ धाम एवं ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में वेदपाठी के पद पर कार्यरत थे। ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ से गूंजती मधुर ध्वनियां गुप्तकाशी और आसपास के क्षेत्रों में सुनाई दे रही थीं, जो केदार घाटी में होने का अहसास करा रही थीं।

वो मधुर आवाज जो आपको भावुक कर देती थी अब बंद हो गई है। कल लोकसभा चुनाव में वोट डालने के बाद घर पर अचानक उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिससे उनका निधन हो गया।शैव परंपरा के अनुसार उन्हें समाधि दी जाएगी।