उत्तराखंड में है दुनिया के सबसे उम्रदराज मतदाता, नैनीताल में अंग्रेजों के जमाने के 135 साल के डॉक्टर करेंगे खुद जाकर मतदान

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उत्तराखंड एक नया कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। इस चुनावी सरगर्मी में एक दिलचस्प खबर सामने आ रही है। हम आपको बताना चाहते हैं कि स्वामी परमानंद पुरी जिन्हें 1920 में नैनीताल के जिला स्वास्थ्य अधिकारी के रूप में निर्देशित किया गया था। वह ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, लंदन से एमडी-एमएस करने के बाद वर्ष 1919 में भारत लौट आए।

1919 में डॉक्टर बनकर नैनीताल में हुए तैनात

उत्तराखंड में 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होगा। मतदाता सूची में कई मतदाता शतायु हैं, लेकिन स्वामी परमानंद पुरी एकमात्र मतदाता हैं जिनकी उम्र 135 वर्ष है। उनका दावा है कि दुनिया में उनके जैसा कोई और नहीं है और उनकी लंबी उम्र का राज संतुलित जीवन, अनुशासन और सावधानीपूर्वक खान-पान में छिपा है।

उनकी पूरी शिक्षा लंदन में हुई, लेकिन वर्ष 1919 में लंदन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से एमडी-एमएस करने के बाद वे भारत लौट आए और वर्ष 1920 में उन्हें स्वास्थ्य विभाग में नैनीताल में जिला स्वास्थ्य अधिकारी के पद का कार्यभार सौंपा गया। विभाग। दस वर्ष तक नौकरी करने के बाद वर्ष 1930 में उन्होंने सांसारिक मोह-माया त्यागकर संन्यास ले लिया और तब से वे एक संत के रूप में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

स्वामी परमानंद पुरी कहते हैं कि मेरी लंबी उम्र का राज सिर्फ संयमित जीवन है, सादा भोजन, काम के प्रति समर्पण और अनुशासन ही मेरी लंबी जिंदगी का राज है. उन्होंने बताया कि वह रोज सुबह 2 बजे उठते हैं और 3 बजे तक अपनी दिनचर्या पूरी करने के बाद 8 बजे तक भगवान का ध्यान करते हैं। फिर मैं हिंदी और अंग्रेजी अखबार पढ़ता हूं और आने वाले भक्तों से भी मिलता हूं।इसके बाद वह दोपहर में लंच के बाद कुछ देर आराम करते हैं और रात 10:30 बजे सो जाते हैं। उनका कहना है कि हर व्यक्ति को भगवान को याद करना चाहिए, अच्छे विचार, सही मार्ग, दया और जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए।